हरिवंशराय बच्चन की एक बहुत ही उम्दा कविता है अग्निपथ | अग्निपथ एक फिल्म भी है जिसमे मुख्य किरदार निभाया है उन्हीं के महानायक सुपुत्र अमिताभ बच्चन नें | अग्निपथ को हम कह सकते हैं ये उन लोगों को समर्पित है जो कि आजीवन संघर्ष में लिप्त रहते हैं ए॓से की मानों संघर्ष के सिवा उनके जीवन में कुछ और नहीं |
संघर्षशील व्यक्ती हमेशा छोटे लोगों का भी पूरा सम्मान करते हैं और बडी से बडी कठिनाई आने पर भी ना डरने की बात करते हैं | मैं अपने आस पास के संघर्षशील लोगों को देखता हूं तो यही कविता मुझे बरबस याद आती हैं |
अग्निपथः हरिवंशराय बच्चन
वृक्ष हो भले खडे,
हों घने, हों बडे,
एक पत्र छाहं भी,
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुडेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से,
लथपथ, लथपथ, लथपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |
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