जी हां ये सवाल मेरे मन में कौंधे जब में कल शाम अपनी मोटरसाईकिल से सीधे सीधे मुखर्जी चौराहा से शहर के बस स्टैंड की तरफ जा रहा था ! पीछे से अचानक जोर जोर से होर्न की कान फोडू आवाजे आनें लगी ! मेनें अपनी कम रफ्तार से चल रही मोटरसाईकिल को थोडा साईड में किया कि तभी पास से चार पांच मोटरसाईकिलें स्पीड से निकली, हर मोटरसाईकिल पर दो दो व्यक्ति बेठे थे जो किसी संघठन के व्यक्ति थे जो केसरिया रंग के मफलरनुमा कपडे गले में पहने हुए थे !
वे सभी को झिडकने के और धौंस जमाने के अंदाज में साईड हटने को कह रहे थे ! और उन मोटरसाईकिलों के पीछे कोई मेहमान वी आई पी की दो तीन कारें थीं !
और उसी दौरान अचानक कई सारे सवाल मेरे मन में बिजली की तरह कौंधे ! क्या किसी भी संस्था विशेष या संघठन के लोगों को यह हक है कि आम शहरी लोगों से भरी भीड वाली सडक पर ट्रेफिक के नियमों की धज्जियां उडाते हुए हर किसी को बाजू होने को कहे !
अगर कोई विशिष्ट आदमी है, और इतना ही जरूरी है तो सरकार और प्रशासन उसके स्वागत का प्रबंध करें, कोई संघठन के गुंडे नुमा व्यक्ति क्यों करते हैं ये सब !
s k garg // Feb 1, 2011 at 4:34 am
correct i also feel the same.
ramesh u.bagora // Feb 3, 2011 at 3:21 pm
bahut sahi tippani he bhai aapki,par es dikhawe ki duniya me Ensan Ensaniyat ko bhul chuka he. or jan sankhya had se jyada speed se badh rahi he sarkari Adhikari Bhrastachar me Lin he. Par Aapke Vichar ko dhanyawad karta hu…..