लिजीये इंडियन आईडल फिर से चालू हो चुका है ! ए॓सा टेलेन्ट शो जिसका हर कोई पुरे साल इंतजार करता है ! मेरा व्यक्तीगत तौर पर यह मानना है कि अच्छा गायक होना, एक अच्छे साधक के होने जैसा ही कुछ है । जैसे कोई साधक श्वास को साध कर उस परब्रह्म परमआन्नद को प्राप्त करता है ! लगभग वैसे ही अच्छा गायक श्वास व अपनी आवाज को सुरो के माध्यम से साधता है ! और जो अपने आप मे रम गया, खो गया, अपने सुरों के बीच, वही बेस्ट सिंगर है !
सिर्फ और सिर्फ रियाज, सुरों की समझ और आध्यात्म ये कुछ बाते हैं जो किसी साधारण व्यक्ती को विलक्षण प्रतिभाशाली तक बना डालती है । काफी सारे उदाहरण भरे पडे है, अपने आस पास ! तो इस ही तरह एक गायक और एक साधक में भी काफी सारी समानताएं है । दोनों का मकसद सिर्फ एक, मंजिल को पा जाना !
अल सवेरे जैसे कोई साधक उठ कर योगा, प्राणायाम, श्वासों के उतार चढ़ाव वाले प्रयोग करता है उसी तरह गायक लोग भौर के समय रियाज व प्रेक्टिस करते है । सुबह सुबह का समय है हि इतना पवित्र, शब्दों में कोई इसको कैसे बयां करे !
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rajesh // Nov 27, 2010 at 1:59 pm
money is the key to open the door to the singer to day.