रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना था और वे भी भारत में जन्में महान कवियों में से एक थे | पन्द्रहवी शताब्दी के दौरान जब उन्होने अपने आस पास के समाज की कुरितियों को देका तो बेबाकी से उन्होनें अपने विचार प्रकट किये दोहों के रूप में | वे दौहै आज भी स्कूलों में पढ़ाये जाते हैं | कठिन से कठिन बात को वे बडे ही सरल शब्दो में ए॓से कह जाते थे कि बस | इसी हाजिरजवाबी और कला प्रेम ने उन्हें बादशाह अकबर के नौ रत्नों में से एक का ओहदा दिलवाया | रहीम ना सिर्फ एक विचारशील कवि थे बल्कि जुजारू योद्धा भी थे | रहीम के हर दौहे बहुत ही खास संदेश देते हैं और हमें दुनिया को देखने का एक जबरदस्त नजरिया देते है |
तो पेश है रहीम के कुछ प्रसिद्ध दौहेः
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोडौ चटकाय |
टुटे से फिर ना जुडे, जुडे गांठ पड जाय ||
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करो किन कोय |
रहिमन फाटे दूध को, मथे ना माखन होय ||
रहिमन बात अगम्य की, कहिन सुनन की नाहिं |
जै जानत ते कहत नहीं, कहत ते जानत नाहिं ||
जो रहिम ओछे बढ़े, तो अति ही इतराय |
पयादे से फरजी भयो, टेढ़ों टेढ़ों जाय ||
रहिमन विपदाहू भली जो, थोरे दिन होय |
हित अनहित या जगत में जानि परत सब कोय ||
रहिमन औछे नरन सों, बैर भलों ना प्रीत |
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाति विपरीत ||
गही सरनागति राम की, भवसागर की नाव |
रहिमन जगत उधार को, और ना कोउ उपाय ||
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन को फेर |
जब नीकै दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ||
दीन सबन को लखत है, दीनहिं लखे न कोय |
जो रहिम दीनहिं लखौं, दीन बंधू सम होय | |
राम ना जाते हरिन संग, सिय ना रावन साथ |
जो रहीम भावी कतहूं, होत आपने हाथ ||
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौंन |
अब दादुर वक्ता भये, हमको पूछत कौन ||
रहिमन वे नर मर चुके, जे कहं मागन जाहि |
उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहीं ||
जो गरीब तों हित करे, धनी रहीम ते लोग |
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग ||
रहिमन कठिन चितान तै, चिंता को चित चैन |
चिता दहति निर्जीव को, चिंता जीव समेत ||
बडे बडाई ना करै, बडो ना बोले बोल |
रहिमन हीरा कब कहै, लाख टका मम मोल ||
ज्यों नाचत कठपुतरी, करम नचावत गात |
अपने हाथ रहिम ज्यों, नहिं आपने हाथ ||
तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पियहीं ना पान |
कहि रहीम परकाज हित, संपति संचहि सुजान ||
रहिमन देखि बडेन को, लघु ना दिजीये डारि |
जहां काम आवे सुई, कहां करे तरवारी ||
समय पाय फल होत है, समय पात झर जाय |
सदा रहै नहीं एक सी, का रहीम पछताय ||
जो बडेन को लघू कहे, नहिं रहीम घटि जाहिं |
गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दःख मानत नाहिं ||
mohammed ameen // Sep 25, 2011 at 9:51 am
Dear,
I read about rahim ji when I am doing study in primery classes.that time I am not realise actual perfection about life .I have not experience about life .so that was only the chapter for.
now I am read and know how
realistic this in life .its good blog
Ranjeet Kumar Ojha // Sep 25, 2015 at 12:58 am
Dear sir,
Mai request karta hu ki 4 vad / 18 puran / bhagwat gita /ramayan /prawachan, chand/skand/doha/rudh ke sath or sare hindi ka sara gyan jaise doha /chhand/skand/bhasa/sahitya/kabya etc update kare
Ranjeet Kumar Ojha // Sep 25, 2015 at 1:01 am
mantra sabhi devoi davtao ka pujan bidhi or sanskrit se savi jankariya update kare
raj sen // Oct 11, 2015 at 10:07 am
it is history of wonderfull