हां जी सही सुना, महानगरों की ही तर्ज पर राजसमन्द में भी अब हेलमेट पहनना अनिवार्य हो चुका है ! अबकी बार परिवहन विभाग ने भी ठानी है कि सबको हेलमेट पहिना के ही छोडेंगें ! वैसे सही भी है सबसे ज्यादा दुर्घटना से मौत सिर पर चोट लगने के कारण ही होती है और इसको रोकने के लिये हेलमेट पहनने से अच्छी कोई चीज भी नहीं है !
वैसे हेलमेट पहनने पर चालक की आंखों में ना तो कचरा जाता है ना चेहरे पर हवा लगने से स्कीन प्रोबलम्स होती हैं और ना ही हवा से बालों के डेमेज होने का खतरा है ! और तो और कहीं लम्बी यात्रा करनी पडे तो भी बंदा फ्रेश ही रहता है !
हेलमेट पहनने पर कार जैसा ही महसुस होता है यानी कुल मिला कर मुनाफे का ही सौदा है ! कोई नुकसान नहीं ! हां पर अब गर्मी के मौसम में पसीने की समस्या जरुर हो सकती है !
पिछले सडक सुरक्षा सप्ताहों के जैसा ये अब नही है जो कि सिर्फ सात दिनों के लिये कर के छोड दिया जाए ! अब आम दिन हो या खास सभी हेलमेट पहन रहे हैं ! कोई चाचा, कहीं लडकियां, कहीं बुजुर्ग, कोई बच्चे सब एक ही हेलमेटी रंग में रंगे हुये नजर आ रहे हैं ! और ट्रेफिक वाले किसी कि भी नहीं सुन रहे हैं, ना कोई फोन से बात, ना किसी का जेक, सीधे जलचक्की पर चालान ! अब इसही बात का एक व्य्ग्यात्मक पुट ये भी है कि नगरपालिका की सडकों पर तो हजारों गड्ढ़े हैं जिससे आम आदमी स्पीड से जा नहीं सकते हां कोई नवयुवक अल्सर पल्सर से जरुर स्टंट बताते हुए गाडीयां भगाते है ! अब कोई स्पीड पे नहीं चलता तो एक्सीडेंट होने के भी चांस शून्य हैं ! पर नहीं हेलमेट तो पहनना ही होगा !
पर फिर भीः
“हेलमेट है सुरक्षा नहीं है ये बोझ,
लगालो अभी से, नही तो चालान बनेंगे रोज”
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