हल्दीघाटी का युद्ध अब एक इतिहास बन चुका है पर इसे हमेशा ही याद किया जाता रहा है और भविष्य में भी लोग इस आजादी की प्रथम लडाई के रुप में याद करते रहेंगे |
अकबर की पुरे भारत पर विजय की सोच वाली महत्वाकांक्षा और महाराणा प्रताप का कभी ना झुकने वाला स्वाभिमान, दोनों में टकराव होना अवश्यम्भावी था ही |
परिणाम स्वरूप मुगल फोजों और राणा प्रताप की भील, राजपूत सेना के बीच हल्दीघाटी का युद्ध लडा गया |
यूं तो महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथायें तो अनेक है,
पर जो कुछ हिन्दी के वीर रस के कवि श्याम नारायण पाण्डेय ने लिखा है वह एकदम अलग और सटीक का प्रतीत होता है |
आप पढ़ेंगे और वाकई में जानेंगे की वे कितना जोरदार लिखते थे, कुछ ए॓सा की सुनने या पढ़ने मात्र से ही रोंगटे खडे हो जाये, भुजायें फडकने लगें | युद्ध का ए॓सा विवरण की बस पूछो मत | तो पढ़ते हैं महान कवि श्याम नारायण पाण्डेय की अनमोल रचना “ राणा प्रताप की तलवार ” कोः
राणा प्रताप की तलवार – श्याम नारायण पाण्डेय
चढ़ चेतक पर तलवार उठा,
रखता था भूतल पानी को।
राणा प्रताप सिर काट काट,
करता था सफल जवानी को॥
कलकल बहती थी रणगंगा,
अरिदल को डूब नहाने को।
तलवार वीर की नाव बनी,
चटपट उस पार लगाने को॥
वैरी दल को ललकार गिरी,
वह नागिन सी फुफकार गिरी।
था शोर मौत से बचो बचो,
तलवार गिरी तलवार गिरी॥
पैदल, हयदल, गजदल में,
छप छप करती वह निकल गई।
क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर,
देखो चम-चम वह निकल गई॥
क्षण इधर गई क्षण उधर गई,
क्षण चढ़ी बाढ़ सी उतर गई।
था प्रलय चमकती जिधर गई,
क्षण शोर हो गया किधर गई॥
लहराती थी सिर काट काट,
बलखाती थी भू पाट पाट।
बिखराती अवयव बाट बाट,
तनती थी लोहू चाट चाट॥
क्षण भीषण हलचल मचा मचा,
राणा कर की तलवार बढ़ी।
था शोर रक्त पीने को यह,
रण-चंडी जीभ पसार बढ़ी॥
Ajeet singh khairwa // Feb 18, 2013 at 9:20 pm
Rana Partap ki talwar ki parsansa ke liye sabd hi nhi h wo mahaan swatantrtaa premi the great PRATAP
Admin अनजान // Mar 17, 2013 at 7:17 am
हां अजीत सिंह जी, बिलकुल सही लिखा आपने महाराणा प्रताप का नाम और कार्य अमर है, श्याम नारायण पांडेय जी नें कविता बडी ही जोरदार लिखी हैं …… बहुत शुक्रिया
विपुल गोस्वामी // Dec 21, 2015 at 10:39 pm
रण की तलवार का एक किस्सा हूँ मैं
भारत की भूमि का एक हिस्सा हूँ मैं
मेरा लहू भी अब उबाल ले रहा हैं
देखो मेरा खून भी मुझको महाराणा प्रताप कह रहा हैं
Akhilesh Shrivastav // Jun 4, 2016 at 6:42 am
Maharana Pratap par virras ki kawita Jiwan me Utsahwardhan karati hai ,Jiwan me upani Mitti ke prati Nawjivan deti hai ,nyajosh ,umang ,utsah lati hai rastrabhakti ke prati samrpan sikhati hai
yadi jina hai to desh ke liye or Marna hai to desh ke liye .jiwan ko naya uthan mile kawita likhate rahe — Jai Bhart mataki jai ho virvirangnao ki jai ho –