जी हां ! हमारे शहर कांकरोली राजसमंद में एक प्रसिद्ध पान की दूकान है “ग्रेजुएट बिटल्स” उसके मालिक हैं बेबू भाई सिन्धी ! व्यक्तिगत तौर से में इनको पिछले करीब बीस साल से जानता हूं । यानी कि इतनी ही पुरानी इनकी यह दुकान भी है । अपने जमाने में उन्होने काफी पढ़ाई की और बडी सी डिग्रीयां अच्छे अंको से पास की, और नोकरी के लिये कई प्रयासों कें बाद भी जब बेबू भाई को कहीं सफलता नहीं मिली तो उन्होने अपना स्वयं का पान की दुकान शुरु करने की सोची ।
अब अनपढ़ आदमी पैसे के लिए कुछ भी काम या नौकरी कर सकता है पर पढ़ा लिखा नहीं । पर फिर भी उन्होनें हिम्मत नहीं हारी और जीवन में सफलता के लिए अनवरत प्रयास करते रहे । जैसे वकील के नाम के आगे लिखा रहता हैं रामलाल M.A.,L.L.B.एसा ही कुछ इनकी दुकान के बाहर बोर्ड पर लिखा हुआ था जो मे अक्सर अपने बचपन के समय में पढ़ता था पर मतलब जान नहीं पाया !
आज में इतने सालों के बाद में जब भी उन महाशय की दूकान के पास से गुजरता हूं या कभी कभी वहां से मीठा पान लेता हूं, तो सोचता हूं कि जब आज से बीस साल पहले भी नौकरी पाना आसान नहीं था और आज भी नहीं । एसे में क्या उनका यह स्वरोजगार को अपनाने का कदम कहां तक सही रहा । या फिर सही था भी या गलत ! सामान्य वर्ग के गाल पर तो जैसे सरकार ने तमाचा सा मारा है, अब कोई भी सरकारी पदों पर SC ST या OBC वर्ग के व्यक्तीयों को ही देखा जा सकता है ।
आज भी कांकरोली के मेन चौपाटी पर दुकान लगाये बैठा यह पर्याप्त पढ़ा लिखा बेबू भाई पान वाला सफेदपोश नेताओं के मुंह पर तमाचा सा मारता प्रतीक होता हैं “साथ ही स्वरोजगार शुरु करने वाले भाईयों के लिए एक शुभ संदेश सा देता हैं” । आज में सोचता हूं, नौकरी के प्रयासों में एक निश्चित समय तक भी अगर सफलता नहीं मिले तो बेबू की तरह ही स्व रोजगार करना ही अति उत्तम है । आखिर देश के प्रधानमंत्री भी तो स्वरोजगार अपनाओ का ही नारा देते हैं !
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