ब्राडगेज रेलमार्ग अब राजसमंद की विशेष जरुरत बन चुका हैं | पर हमेशा से ही हमारे यहां के स्थानिय नेताओं के वादे सुने जाते हैं कि इस बार हम कांकरोली राजसमंद के रेलमार्ग को ब्राडगेज में परिवर्तित करने की स्वीकृति दिला ही देंगे | पर जाने कब सभी शहरवासियों की ये अभिलाषा पूरी होगी | मुंगेरीलालों की तरह हम राजसमंदवासी यों ही ब्राडगेज रेलमार्ग के सपने देखते ही जाते हैं, पर होता कुछ नहीं हैं |
वाकई में अब हमारा शहर कांकरोली राजसमंद छोटा नहीं रहा, जरुरत के हिसाब से जनता को और भी सुविधाएं चाहिये जो कि अभी भी बहुत अपर्याप्त हैं |
उन्हीं कुछ मुख्य समस्याओं में से समस्या है छोटी पटरी वाली रेल लाईन होना | ब्राडगेज रेलमार्ग ज्यादा सुविधाजनक, तेज रफ्तार और अच्छा होता हैं |
राजसमंद ब्राडगेज रेलमार्ग से जुडेगा तो क्या फायदे होंगेः
- फायदे अनगिनत होगें, साथ ही ये अपना रेल यातायात सस्ता भी होता हैं, सुलभ और सुरक्षित भी, साथ ही यात्रीयों को थकान आदि परेशानियां भी नहीं होती, व पेन्ट्री डब्बे से सफर के दौरान खाने पीने की समस्याएं भी नहीं होती |
- मार्बल आदि व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, लफर, स्लेब्स, मार्बल के पाटिये और तैयार माल, मालगाडी से जल्दी और सुगम तरीके से दूरदराज पहुंचाया जा सकता हैं |
- मुंबई, बेंगलोर व साउथ जाने वाले कांकरोली राजसमंद के निवासियों को यहां बार बार आने जाने में परेशानी नहीं होगी |
- हमारा शहर कांकरोली राजसमंद आसनी से बडे शहरों से जुडेगा जिससे व्यापार, पर्यटन आदि तो बढ़ेगा ही, और भी कई तरह से शहर का आर्थिक विकास होगा |
तो भाइयों सौ बातों की एक ही बात है कि चाहे प्रशासन व रेलवे विभाग कुछ भी कहे या करे पर हमें तो अब ब्राडगेज रेलमार्ग चाहिये ही चाहिये | अब यहां की जनता भी किसी छोटे मोटे झुनझुने से खुश नहीं होने वाली हैं, साथ ही जो लोग कुछ थोडा राजनितिक, प्रशासनिक या किसी भी प्रकार का पावर रखते हैं उन्हें इस सुविधा हेतु आगे आना होगा, अभी ही सही समय हैं, ब्राडगेज रेलमार्ग का काम जल्दी से जल्दी शुरु होना चाहिये |
lalit singh // Jan 10, 2014 at 12:45 am
marwar se mavli tak broad gej line dali jay taki pura jila sabhi city se jud jay
कालूराम पारीक // Jun 1, 2014 at 12:00 pm
मेरा नाता काकरोली से बचपन से जुडा है. मै जब भी वहां से गुजरा, या रहने का मौका मिला पूरी कौशिश रही कि द्वारकाधीश के दर्शन कऱू.
राज समंद झील का विस्तार एवं जल राशि की भव्यता लुभाती रही.
1961-62 मे जब तक डबोक का हवाई अड्डा नही बना उस समय मे
उदयपुर , भीलवाडा के लिए ईसी झील मे वायुयान पानी की सतह पर उतरा करते थे. एवं वर्तमान के सिचाई विभाग का गेस्ट हाउस यात्री प्रतिक्शालय हुवा करता. ऐसी भव्यता अब नही है.
झील मे आने वाला जल अब मीलों दूर मारबल खदानो मे समा जाता है.
और झील का पैटा ऐसे दिखता है जैसे कई दिनो की ऐक भूखी स्त्री अपना पैट उघाड़ कर उभरी हुई फसलीयां दिखा रही है.
कुछ ऐसा हो अब कि हम वो दिन वापस देखे.
shiv kumar sharma // Jun 17, 2014 at 7:52 am
sir,
me chahata hu ki dehli to sikar or jaipur to churu rail lain dadi kab hogi jo barsu se band padi hai thankes