गरबा नृत्य एक विशेष तरह का नृत्य है जो कि आजकल प्रसिद्धि की उंचाईयों को छू रहा है, वेसे तो इसकी शुरुआत गुजरात से चालू हुई पर शने शने इसने पुरे भारत को कवर कर लिया । चंदे के पैसों से ही सही पर हर कोई अपने मोहल्ले के चोराहे पर गरबे होते देखना चाहता है । शुरुआत होती है मोहल्ले से ही ।
हर बच्चा कुछ अलग दिखना चाहता है गरबे की प्रतियोगिता में, कोई भिन्न भिन्न तरीके के उछलकूद कर के डांस करता है तो कोई झुक झुक कर के । अब इसमें फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता का भी समावेश कर लिया गया है हर दो तीन दिन में फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता होती है गरबों के दौरान ईसमें सेंकडो नौकरी पेशा लोगों की मेहनत की कमाई बच्चों को खुश करने के नाम पर व्यर्थ खर्च हो जाती है ।
लडका हो या लडकी उसे तो नो दिन के लिये नो नई ड्रेसें चाहिये, साथ ही उनके लिये मेंचिंग के डांडीया, जूते, ज्वेलरी, दुपट्टे और ना जाने क्या क्या चाहिए, महंगे क्लब के पास या टिकट भी चाहिए जहां डांडिया का लुत्फ लिया जा सके, गाडी में पेट्रोल, मोबाईल में रिचार्ज और पर्स में थोडे एक्स्ट्रा पैसे भी चाहिए । और यदि बच्चे को फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता भी अटेंड करनी हो तो कुछ एसा चाहिये जो किसी के पास ना हो । अब ये सारी नायाब चीजें व सुविधाएं ईकठ्ठा करने में तो साधारण घर परिवार वाले का दम निकल जाता है ।
हमारे एक परम मित्र ने अभी अभी एक शाम को आपसी परिचर्चा के दौरान बताया कि अब वो दिन दूर नही जब गणपति बप्पा के साथ ही गरबे चालू हो जाएंगे और दिवाली तक लगातार चलते ही जाएगें । यह सुन कर थोडी हंसी आई पर पता नही क्यों मन आशंकित हो उठा ।
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