कांकरोली का द्धारिकाधीश मंदिर अपनी बहुत सी अच्छी बातों और रिवाजों के लिये जाना जाता हैं यहां के दर्शनों कि झांकिया और मंदिर के अनेकानेक दर्शन और कार्यक्रम जनमानस में बडे ही प्रसिद्ध हैं | साथ ही यहां दर्शनों के दौरान होने वाले कीर्तन जो कि यहां के परम्परागत कीर्तनकार या कीर्तनिया जी किया करते हैं, वे बडे ही अच्छे लगते हैं | मंदिर का शांत व श्रद्धापुर्ण वातावरण, यहां प्रभू के दर्शन, चहुं और धूप दीप की सुगंध, पखावज की थाप, हारमोनियम की स्वरलहरियां, और कीर्तनकारों की विशेष हवेली संगीत से सराबोर गायनशैली, आने वाले हर एक श्रद्धालु दर्शनार्थी के मन पर अमिट छाप छोडती हें | वैसे भी पुष्टिमार्गीय संगीत परम्परा में हवेली संगीत का विशेष महत्व हैं |
काकंरोली में कल ही 19-03-2015 को शाम द्धारिकाधीश मंदिर में हवेली संगीत समारोह का आयोजन किया गया था जो कि राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी जयपुर और श्री द्धारिकेश राष्ट्रीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित था | यहां बडोदा से पधारे मंदिर के खास कीर्तनकार भगवती प्रसाद जी गंधर्व, कामां मथुरा से आये दो गायक और स्थानीय कलाकारों नें अपनी गायन शैली की प्रस्तुतियां दी | हवेली संगीत समारोह में कीर्तन के दौरान साजिन्दे भी बडे ही दक्ष थे, मृदंग, पखावज, मंझीरें, और हारमोनियम, बस सिर्फ गिने चुने वाध्ययन्त्रों पर कौशल से ही वे आने वाले हर एक दर्शक को मुग्ध कर देने में सफल रहे | फिर सभी कलाकारों का सम्मान भी किया गया | इन सभी में मुझे भगवती प्रसाद जी गंधर्व की प्रस्तुति दिल को छू लेने वाली लगी | उम्मीद करता हूं ए॓से बहुत से हवेली संगीत से जुडे कार्यक्रम यहां भविष्य में भी होते रहें |
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