It’s Good To Be Bad
एक नई नई फिल्म अभी रिलिज होने जा रही है उसका पंच लाईन मुझे बडा भाया ! मेरे खयाल से शायद यह लाईन काफी मायनों में एकदम सटीक और सही साबित हो रही है,
क्योंकि में खुद अपने आस पास के जीवन में यह देखता और महसूस करता हुं कि It’s Good To Be Bad. युानी कि बुरा होना कई मायनों में काफी अच्छा है !
बुरे आदमी से कोई पंगे नहीं लेता, साईड से निकल लेता है,क्योंकि सभी जानते हैं कि इससे लडाई करना मतलब अपने लिये आफत खडी करना ! अब अपने नेता लोगों को देखो जो बुरे हें वे नेता है और जो नेता हैं वे बुरे !
आज हर आदमी अपने खुद तक ही सिमित रहना चाहता है और सिर्फ अपने भले कि ही सोचता हैं, जमाना बडा खराब है, आस पास कई बुराईयां है पर सबको सही करने का ठेका किसी व्यक्ति विशेष या आम आदमी ने तो ले नहीं रक्खा है ना, फिर काई कू पंगे लेने का !
- कुछ उदाहरणः बुरा होना अच्छा है
अपने शहर में ही में देखता हूं कि लोग उन उम्रदराज लोगों कि तारीफ करते हैं जिन्होने अपनी लाठी के जोर पर किसी जमाने में आस पास कि बिलानाम जमीनों पर कब्जे किये, लडाईयां की और आज आबादी के बढ़ने पर उनकी जमीनों के उंचे दाम मिल रहे हैं ! तो वे लोग अच्छे हैं ना जिन्होनें अपने बुरे होने का फायदा अपने आप को और परिवार, समाज आदि को दिया !
बुरा आदमी अस्पतालों, बेंको में अपनी धोंस से जल्दी मिनटों में काम निकलवा लेता है, जब कि आम आदमी लगा रहता है लाईनों में और हर कोई उसको इधर से उधर ठेलता रहता हैं !
मेरे एक करीबी मित्र का भी तजुर्बा है कि जहां किसी सरकारी कार्यालय में अपना काम सिद्ध नहीं हो पा रहा हो तो वहां जाकर हो हल्ला करो, सीधी बडे अधिकारी से बात करो या तमाशा खडा करो, जो भले आदमी होगें वे यही कहेंगे कि भाई हमारा काम तो लेट होगा तो भी चलेगा पर पहले इस आदमी का काम कर दो !
ये तो चंद उदाहरण मात्र है बाकी आप अपने आस पास के ही किसी भी लडाकू पहलवान टाईप के आदमी को देख लो, उसके सारे काम चुटकियों में हल हो जाते हैं और भला मानूष जो होता है, वह जीवन की छोटी मोटी मुसीबतों से भी हार जाता है कि हाय ये कैसी परेशानी सामने आयी ! हकीकत में बुरा भी हर कोई नहीं बन सकता ! किसी के बुरा इंसान बनने के पीछे भूी कोई दिल को छू लेने वाला मर्म हो सकता है ! कोई हथियार क्यों उठाता है, कोई बुरा क्यों बन जाता है ये सोचने वाली बात है, बुराई को अगर मिटाया जाए तो बुरे लोग अपने आप ही नहीं बचेंगें !