अपने देश की आजादी के साठ साल होने आए हैं, सभी देशवासियों को बधाई । वेसे देखा जाए तो इन गुजरे सालों में बहुत कुछ हुआ है, जो नहीं होना चाहिए था मसलन बडे बडे घोटाले, सी. डी. व कई सारे मोबाइल के क्लिपींग कान्ड, बम कान्ड, हत्याएं, बाढ़, सुखा वगेरह वगेरह । पर कुछ तो है जो अच्छा है, बाकी क्यों भला हर कोई व्यक्ती इस दिन नए चमचमाते हुए सफेद प्रेस किये हुए कपडे और पालिश किए गए जुते पहन कर निकल पडता है, जवानो की कदम ताल और बच्चों की परेड को नजदीक से देखने के लिये ।
आखिर कुछ तो है उन देशभक्ती गीतों में, जिन्हें चाहें हम 26 जनवरी या 15 अगस्त के दिन ही सुनते है । जाने क्यों एसा हर व्यक्ती को अंदर से महसुस होता है कि अगर आस पास कुछ किलोमीटर दूर कोई 5-50 हथियारबंद देशद्रोही हो, और स्थानिय सरकार नें अपन को भी हथियार व खुली छूट दे रखी हो तो, अभी उन देश के दुश्मनों को सलटा डालें । कुछ तो है कि हमें अपने देश की खातिर शहीद हुए देशभक्त लोगों की याद आने लगती है! ना जाने वे लोग केसे थे, क्या करते थे पर आज शायद उन्हीं लोगों के प्रयासो् की वजह से आप और हम आजाद देश में चैन की सांस ले रहे हैं ।
हजारों गुमनाम लोगों ने देश की आजादी की खातिर संघर्ष किया पर उनमें से केवल कुछ प्रसिद्धी को पा सके । बडे फख्र से हम उनके नाम लेते हैं जेसे सरदार भगत सिंह, गांधी जी, नेहरू चाचा, सरदार पटेल, चन्द्रशेखर आजाद एवं एसे कई और । बाकी उन सेंकडों हजारों लोगों को पता नहीं क्यों याद नहीं किया जाता, क्यों नहीं सरकार उनके परिजनों को कुछ आर्थिक सहायता देती है । आपके हमारे पास ही कई सारे एसे देशभक्त लोग होंगे, जिन्होनें आजादी के संघर्ष में बडे लोगों के साथ सक्रिय भागीदारी निभाई है । स्थानिय पुलिस व कलेक्टर ढ़्रारा सिर्फ उन्हें 26 जनवरी या 15 अगस्त के दिन शाल ओढ़ा कर सम्मानित कर दिया जाता है । शायद किसी को पता नहीं हैं कि वे लोग इतना सब देश की खातिर कर चुके हैं, पर फिर भी अभी तक फटेहाल जिन्दगी बसर कर रहें हैं । अभी अभी कुछ ही समय पुर्व शहनाई वादक महान उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहेब के बारे में एक निजी चेनल ढ़्रारा बताया गया था, की वे केसे अपनी जिन्दगी की गाडी चला रहे थे ….. ये तो सिर्फ एक छौटा सा उदाहरण मात्र है ।