जीवन में काफी सारे ए॓से मोके आते है जब हम किसी अपने को ही कुछ गलत बोल पडते हैं, पर इस बात का एहसास काफी लन्बे समय तक जेहन में रहता है कि क्यों में एसा बोल पडा उस व्यक्ती को । गस्से में सभी एक ही तराजु में तोल दिये जाते हैं चाहे छोटा हो या बडा सही हो या गलत पर कुछ तो है जो हमेशा मन में रहता है व कहता है, कि भई तुने ये काम अच्छा नहीं किया । कोई हमेशा हर बार सही ही हो ये हम केसे बता सकतें है । गलतियां करना इन्सानी स्वभाव है पर कोई अपनी पुरानी गलतियों से कुछ सीखे व उस ही गलती को भविष्य में ना दोहराए, वही तो इन्सान है ।
मुझे इस बात का अफसोस नहीं कि में चुप क्यों रहा ।
बल्कि इस बात का अफसोस है कि में बोल क्युं पडा ।।
किसी महापुरुष द्वारा कही गई ये पक्तियां अक्सर कई बार दिल के किसी कोने में चोट करती है। गुलाम फिल्म के एक गीत “अब नाम महोब्बत के इल्जाम…… सर हमने झुकाया है” का एक दृश्य काफी यादगार बन पडा था – जब हिरो को अपनी गलती का एहसास होता है। हिरो जिसे एक बार बुरी तरह से पीट चुका होता है, उसके पास बेट या स्टंप (याद नहीं) ले कर जाता है [Read more →]