पृथ्वीराज चौहान के जीवन की रोमांचक कहानीः

prithviraj chauhan
पृथ्वीराज चौहान का जन्म अजमेर के वीर राजपूत महाराजा सोमश्वर के यहां हुआ था | पृथ्वीराज मध्यकालीन भारतीय इतिहास के सबसे बहुत ही प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में एक थे उनका राज्य राजस्थान और हरियाणा तक फैला हुआ था | वे बहुत ही साहसी, युद्ध कला मे निपुण और अच्छे दिल के राजा थे, साथ ही बचपन से ही तीर कमान और तलवारबाजी के शौकिन थे |
पृथ्वीराज चोहान को कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता पसंद आ गई, राजकुमारी संयोगिता से प्रेम होने पर, पृथ्वीराज चौहान ने स्वयंवर से ही उठा लिया और गन्धर्व विवाह किया और यही कहानी अपने आप में एक मिसाल बन गई | चन्द्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान दोंनो बचपन के मित्र थे और बाद में आगे चलकर चन्द्रवरदाई एक कवि और लेखक बने जिन्होनें हिंदी/अपभ्रंश में एक महाकाव्य पृथ्वीराज रासो लिखा |
एक विदेशी आक्रमणकारी मुहम्मद गौरी ने बार बार युद्ध करके पृथ्वीराज चौहान को हराना चाहा पर ए॓सा ना हो पाया | पृथ्वीराज चौहान ने १७ बार मुहम्मद गोरी को युद्ध में परास्त किया और दरियादिली दिखाते हुए कई बार माफ भी किया और छोड दिया पर अठारहवीं बार मुहम्मद गोरी नें जयचंद की मदद से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में हार दी और बंदी बना कर अपने साथ ले गया | पृथ्वीराज चौहान और चन्द्रवरदाई दोंनो ही बन्दी बना लिये गये और सजा के तौर पर पृथ्वीराज की आखें गर्म सलाखों से फोड दी गई | अंत में चन्द्रवरदाई जो कि एक कवि और खास दोस्त था पृथ्वीराज चौहान का | दोनों नें भरे दरबार में गौरी को मारने की योजना बनाई जिसके तहत चन्द्रवरदाई नें काव्यात्मक भाषा में एक पक्तिं कहीः
“चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”
और अंधे होने के बावजुद पृथ्वीराज चौहान नें इसको सुना और बाण चलाया जिसके फलस्वरूप मुहम्मद गौरी का प्राणांत हो गया । फिर चन्द्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान दोंनों ने पकडे जाने पर फिर से बंदी जीवन वय्तीत करने के बजाय दोनों नें अपना एक दूसरे को मार डाला | इस तरह पृथ्वीराज ने अपने अपमान का बदला ले लिया | उधर संयोगिता नें जब ये दुखद समाचार सुना तो उसने भी अपने प्राणो का अंत कर दिया |
वाकई में पृथ्वीराज चौहान की एतिहासिक कहानी है बहुत ही जोरदार | पढ़ते सुनते में ही रोंगटे खडे हो जाते हैं | सोचो सच में कैसा आदमी रहा होगा | संयोगिता का अपहरण करके एक कविता हैं आल्हाखंड की, बडी ही रोचक है जरुर पढ़ियेगा |
आल्हाखंडः संयोगिता का अपहरण
आगे आगे पृथ्वीराज हैं, पाछे चले कनौजीराय |
कबहुंक डोला जैयचंद छिने, कबहुंक पिरथी लेय छिनाय |
जौन शूर छीने डोला को, राखे पांच कोस पर जाय |
कोस पचासक डोला बढ़िगो, बहुतक क्षत्री गये नशाय |
लडत भिडत दोनो दल आवैं, पहुंचे सौरां के मैदान |
राजा जयचंद नें ललकारो, सुनलो पृथ्वीराज चौहान |
डोला ले जई हौ चोरी से, तुम्हरो चोर कहे हे नाम |
डोला धरि देउ तुम खेतन में, जो जीते सो लय उठाय |
इतनी बात सुनि पिरथी नें , डोला धरो खेत मैदान |
हल्ला हवईगो दोनों दल में, तुरतै चलन लगी तलवार |
झुरमुट हवईग्यो दोनों दल को, कोता खानी चलै कटार |
कोइ कोइ मारे बन्दूकन से, कोइ कोइ देय सेल को घाव |
भाल छूटे नागदौनी के, कहुं कहुं कडाबीन की मारू |
जैयचंद बोले सब क्षत्रीन से, यारो सुन लो कान लगाय |
सदा तुरैया ना बन फुलै, यारों सदा ना सावन होय |
सदा न माना उर में जनि हे, यारों समय ना बारम्बार |
जैसे पात टूटी तरुवर से, गिरी के बहुरि ना लागै डार |
मानुष देही यहु दुर्लभ है, ताते करों सुयश को काम |
लडिकै सन्मुख जो मरिजैहों, ह्वै है जुगन जुगन लो नाम |
झुके सिपाही कनउज वाले, रण में कठिन करै तलवार |
अपन पराओ ना पहिचानै, जिनके मारऊ मारऊ रट लाग |
झुके शूरमा दिल्ली वाले, दोनों हाथ लिये हथियार |
खट खट खट खट तेग बोलै, बोले छपक छपक तलवार |
चले जुन्नबी औ गुजराती, उना चले विलायत वयार |
कठिन लडाई भई डोला पर, तहं बही चली रक्त की धार |
उंचे खाले कायर भागे, औ रण दुलहा चलै पराय |
शूर पैंतीसक पृथीराज के, कनउज बारे दिये गिराय |
एक लाख झुके जैचंद कें, दिल्ली बारे दिये गिराय |
ए॓सो समरा भयो सोरौं में, अंधाधु्ंध चली तलवार |
आठ कोस पर डोला पहुंचै, जीते जंग पिथोरा राय |
sanjay // Jan 21, 2012 at 9:36 am
bahut hi laajawab kriti hai
hemant shakyewal // Sep 19, 2012 at 10:59 am
mujhe prithviraj chauhan ki balye katht padni hai
poonam yadav // May 6, 2013 at 3:51 am
muje ye kahani bhut pasand ai or पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता ki premkhani bhut pasand ai orपृथ्वीराज चौहान और संयोगिता unki ak kahani t.v shiral per ai thi.
दिलीप पटेल // Apr 21, 2014 at 2:19 am
मुझे पृथ्वीराज चौहान-सैयोगिता की प्रेम कहानी और उनकी सौर्य गाथा से बहुत प्रभाबित हूँ।
और ऐसी तमाम ऐतिहासिक महापुरुषों/योद्धाओ की कहानिआ बहुत पसंद है।
राजू परमार // Jan 9, 2015 at 1:15 pm
मुझे सबसे ज्यादा पसंद है प्रथ्वीराज चौहान
औऱ माहाराणा प्रताप है ।
और आपके द्वारा दी ग ई जानकारी बहुत अच्छी लगी
धन्यवाद
राजू परमार // Jan 9, 2015 at 1:16 pm
मुझे सबसे ज्यादा पसंद है प्रथ्वीराज चौहान
औऱ माहाराणा प्रताप है
धन्यवाद
Sharavan jangid // Jul 21, 2015 at 11:38 am
my best HERO-Prithviraj chauhan & Maharana pratap…
Mukesh Agrawal // Sep 24, 2015 at 9:19 pm
Sir
Jankari bahut hi short me he. Aur adhik vistrit jankari dene ki kripa karave
गोलू नागर नेफ्यू ऑफ शंकर लाल नागर // Apr 19, 2016 at 2:57 am
दी गई जानकारी बहुत फायदेमंद है पढ़ाई-लिखाई के लिए बहुत ही आवश्यक एवं उपयोग कारी है सफलता प्राप्त करने हेतु बहुत अच्छा लेख है
गोलू नागर नेफ्यू ऑफ शंकर लाल नागर // Apr 19, 2016 at 2:59 am
दी गई जानकारी बहुत फायदेमंद है थैंक्स फॉर दी राइटिंग
गोलू नागर नेफ्यू ऑफ शंकर लाल नागर // Apr 19, 2016 at 3:01 am
राजस्थान की शान
पृथ्वीराज चौहान
शुभम् रघुवंशी // Jul 26, 2016 at 11:59 pm
i like love story of prithviraj nd sanyogita.
और इसके साथ ही प्रथ्वीराज चौहान की बहादुरी और युद्धों में उनकी कुशल नीतियाँ भी बहुत पसंद आई ।
पर इसमें उनकी कुछ ऒर Mostघटनाओं के बारे में नहीं है,,,plsss वो भी दें
Gaurav singh // Mar 12, 2018 at 6:51 am
Mere porwaj hi prithviraj chauhan