बदला लेना क्या इंसानी प्रवृर्ति हैं
हां शायद बदला लेना इंसानी प्रवृर्ति ही तो हैं, मान लो कोई व्यक्ति आपका अहित करता हैं, आपको नीचा दिखाता हैं और आप उसे फुलों के हार पहनाओ , मुझे तो ये ठीक नहीं लगता, शायद इसलिये ही कहा गया है कि बदला लेना इंसानी प्रवृर्ति हैं, जो सब कुछ माफ कर दे वो भगवान ही हो सकता हैं और आज के दौर में भगवान बना नहीं जा सकता, अपन तो इंसान ही भले |
कहते हें कि जो लोग प्रभू यीशू के विरोधी थै और उन्हें क्रोस पर लटकाने को ले जा रहे थे उस समय भी यीशू एकदम शांत मना थे, और उन्होनें कहा था की हे इश्वर ये लोग नहीं जानते कि ये क्या करने जा रहे हैं इन्हें माफ करना | कितने सही थे वे | और ये भी कहा जाता हैं कि किसी को माफ कर दो इससे बडी कोई सजा भी नहीं हो सकती हैं | जो सोचता है कि मुझसे गलती हुई है और चाहता है कि मुझे सजा मिले पर उसे माफ करो, बडा दिल रखते हुए की चल जा बे तू मेरे लिये कुछ मायने ही नहीं रखता |
पर आज के जमाने में ये संभव नहीं है, जब छोटे थे तब स्कूल के जमाने में एक दोस्त की कापी के पहले पन्ने पर से एक छंद मेंने पढ़ा, में उसे पढ़ कर बहुत हसां था | वो दोहा या छ्दं मुझे अभी भी याद आता हेः
जो तोको कांटा बोए, वाके बोओ भाला |
वो साला क्या याद करेगा, पडा किसी से पाला ||
वाह, वाह क्या खूब लिखा था ना | दिल कि भडास निकलनी ही चाहिये नहीं तो कहीं ये कोई रोग ना पैदा कर दे | लोग कुछ गलत सलत सोचें तो हमें क्या ?
ravi // Apr 18, 2014 at 5:04 am
par sirf janwaro ke liye
warna janwaro or insan me kya fark rah jayega.