राजसमंद झील का निर्माण महाराणा राज सिंह जी के द्वारा एक बडी अकाल राहत योजना के तहत 1662 AD.में करवाया गया । काफी समय बीतने के बाद जब यह छोटा सा कस्बा जिला बना, तो इसका नाम भी राजसमंद झील के कारण राजसमंद जिला रखा गया । राजसमंद झील पर नौ चोकी स्थापत्य कला का एक बहूत ही अच्छा नमूना है, यहां मार्बल से बनी तीन छतरीयां, व तोरण बने हुए है। इन पर बहूत बारीकी से मीनाकारी का कार्य किया हुआ है ।
ईस नौ चोकी नामक स्थान की एक खास बात यह हे कि यहां हर नौ सीढ़ीयों के बाद एक चोकी है, और इस बात का खास खयाल रखा गया था इसके पुरे निर्माणकाल के दौरान । नौ चोकी पर बने तोरण भी नौ पत्थरों के जोड से ही बने हुए है । नौ अंक का हिन्दु धर्म में एक अलग ही महत्व है । इसी नौ चोकी पाल पर 25 पत्थरों पर खुदाई करके एक बहुत बडा महाकाव्य लिखा गया था जो राज प्रशस्ति के नाम से जाना जाता है । कहा जाता है कि राजसमंद झील पर पाल का निर्माण पूरा होने में पूरे 14 वर्ष का समय लगा था । राजसमंद झील एशिया में दूसरी बडी मीठे पानी कि झील है । झील के किनारे पाल पर एक तरफ अंग्रेजों के जमाने की बनी हुई एक छोटी हवाई पट्टी भी है, तब यहां पानी पर हवाईजहाज उतरते थे ।
यहीं पर झील के किनारे स्थित हे प्रभू द्वारिकाधीश का पावन मंदिर, दर्शनार्थी दूर दूर से यहां प्रभू के दर्शनो के लिये आते हैं, और पवित्र झील में स्नान करते हें । राजसमंद झील विगत कुछ समय से खाली पडी थी पर अब यहाँ पानी की कमी नहीं है । झील पर नौकायान का लुत्फ लिया जा सकता है । राजसमंद झील की पाल पर ही सिंचाई विभाग का कार्यालय है, और सिंचाई विभाग का ही एक गार्डन भी है। प्रतिदिन यहां नगर के कई गणमान्य लोग प्रातःकालीन और सायंकालिन भ्रमण के लिये आते हैं। यहां पाल पर पहली छतरी राडाजी की छतरी के नाम से जानी जाती है, आगे ऐसी ही तीन और छतरीयां है और अंत में आती है चौथी छतरी, कमल कुरज की छतरी । यहां की सांय सांय करती हवा और दूर दूर तक झील के मनोरम नजारे मन को सुकून देते हैं । यहाँ सुर्योदय और सुर्यास्त के समय आकाश में छाई लालिमा को बैठे बैठे निहारना बहूत आनंददायी होता है ।
sudesh bhardwaj // Sep 13, 2016 at 10:29 am
मुझे बागडोला गांव के इतिहास की जानकारी चाहिए…..अगर हो सके तो उपलब्ध करा दें /