राजसमन्द जिला अपने आप में एक अलग पहचान रखता हे। इसे जिला बनाया गया सन 1991 में. इससे पहले यह उदयपुर जिले का ही एक भाग कहलाता था। यह जिला राज्य में अपनी खनिज सम्पदा के कारण एक विशेष स्थान लिये हुए है। यहां पर बहुत तरह के खनिज पाये जाते है, जैसे कि Marble, Quartz एवं Feldsphar आदि। कांकरोली में जे. के. टायर का बहूत बडा प्लान्ट भी है । यहां पर सेंकडो मारबल गोदाम हे, 150 से भी ज्यादा गेंगसा युनिट्स हैं, और काफी सारी मारबल कि माईन्स है। कहने का आशय यह है कि यह एशिया की सबसे बडी मारबल मंडी है ।
यह जिला हर साल राजस्थान में सबसे ज्यादा रिवेन्यु चुकाता है सरकार को, पर फिर भी ईस का जिले का विकास अन्य जिलों की तरह नहीं हो पाया हे, इस बात का मलाल यहां के हर स्थानिय बाशिन्दे को है ।
यहां पर घूमने लायक बहूत सारे स्थान है जैसे नौ चोकी, सिंचाई विभाग का पाल पर बना उद्दयान, विट्ल विलास बाग, पुराना किला, मामू भानेज की दरगाह, तुलसी साधना शिखर, दयाल शाह किला, जे. के. टायर द्वारा विकसित सिविल लाईन्स उद्दयान, कुम्भलगढ़ का किला, देवगढ़, एकलिंग जी के पास ही देवीगढ़ पेलेस, बप्पा रावल, कुम्भलगढ़ का वन्य जीव अभ्यारण्य, बेरों का मठ, बरदड़ की नाल, हल्दीघाटी, गौरीधाम, बाघेरी का नाका, राजसमन्द झील, नन्दसमन्द झील, गणेश टेकरी एवं टांटोल का बांध आदि। मुख्य मंदिरों में कांकरोली का द्वारिकाधीश मंदिर, गडबोर चारभुजा का चारभुजा मंदिर, एकलिंग जी का मंदिर और नाथ्द्वारा का मंदिर आता है।
जिला मुख्यालय रेल व सडक द्वारा अन्य राज्यों व जिलों से जुडा हुआ है। आप सभी का यहां स्वागत है। तो कब आ रहें हें यहां आप ………
dinesh sen // Jan 16, 2017 at 12:07 pm
ati sundar he mera rajsamand