जी हां ! हमारे जिले के ही गांवो के लोगों से भरी हुई रामदेवरा दर्शन के लिये जा रही एक ट्रक देसूरी के घाटे में दु्र्घटनाग्रस्त हो गई थी । जिसमें कई 60 से अधिक घायल हो गए एवं 86 के लगभग मारे गए । ट्रक में 211 बच्चे, बुढ़े, औरतें बेठे थे । इसमें लकडी के पट्टे लगा कर जगह बनाई गई थी ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग बैठ सकें । वेसे यह देसूरी का घाटा पाली की तरफ आता है । यह बडा ही भयावह, विकट मोड, चढ़ाव उतारों व घने जंगल से युक्त कठीन रास्ता है । वेसे इसके घाटे के जेसा ही हमारा उदयपुर के मार्ग में आने वाला चीरवा का घाटा भी है ।
अनुभवी बडे लोग बतातें है, कि आज से 15-20 साल पहले ना तो गाडीयों में पावर स्टीयरिंग होते थे ना ही सडके चौडी हुआ करती थी, ना रोड लाईट्स, ट्रक चलाने वाले के तो हाथ गियर बदल बदल कर और स्टियरिंग को मुडा मुडा कर ही दुखने लग जाते थे । साथ ही यह भी बता दुं की देसूरी की नाल या घाटे के शुरुआत में एक मंदिर भी है, काफी सारे लोगों का मानना है कि अगर रुक कर दर्शन किये बिना चले गए तो दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं । बहुत सी गाडीयों से लोग रुक रुक कर पेसे चढ़ाते हैं, व दर्शन करते हैं यहां ।
इस से एक बात तो साफ हो जाती है कि हमारे राजस्थान के लोग काफी धर्मांध है, किसी के थोडे से आग्रह करने मात्र से ही खतरनाक यात्राएं करने के जोखिम तक उठाने से नहीं चुकते । ये तो कुछ भी नही हमारे हाइवे के रास्ते पर हर साल सडक के किनारे पैदल जाने वाले रामदेवरा के यात्री वाहनों की टक्कर के शिकार होते हैं व मारे जाते हैं। भगवान मृत लोगो की आत्मा को शांति दे ।
मुकेश कुमार // Sep 9, 2007 at 10:55 am
हा बहुत ही दुखदायक घटना है .हा मे भी भीलवाडा जिला का रहने वाला हु आप मेरी साईट kaalchakraa (at)blogspot एक बार जरुर पधारे……..
बसन्त आर्य // Sep 9, 2007 at 8:30 pm
हमारी भी यही कामना है. उनकी आत्मा शान्त चित्त हो