ऋषि अष्टावक्र के जीवन की एक घटना: राजा जनक मे काल में अष्टावक्र जी नाम के एक बहुत विद्वान संत थे, बडे ही महान ऋषि थे, पर शारिरिक रुप से थोडे टेढ़े मेढ़े थे, आप और हम कह सकते हैं कि वे अपने शरीर में कुल मिला कर आठ जगह से टेढ़े मेढ़े थे | […]
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अष्टावक्र
December 23rd, 2012 · 2 Comments · लघु कहानियां
Tags: अष्टावक्र·चमार·जनक·दरबारी·राजा की सभा
राधे का दुःख
August 10th, 2012 · 1 Comment · लघु कहानियां
आज हम सुबह सुबह घर से निकले ही थे कि हमारा पुराना मित्र राधे मिल गया रास्ते में, बोला गुरु कहां हो यार में तो तुम्हे ही ढ़ूंढ़ रहा था | एक नई दुख की खबर हैं उस पर तुम कुछ लिखो मियां, मैने पूछा क्या है रे राधे, तू फेर ले के आ गया […]
Tags: आम आदमी के एडजस्टमेंट·कर·झुम्मन की चाय·टेक्स·बिजली वाले·राधे का दुःख·लेखक बाबू
सडक की कुछ घटनाएं
August 18th, 2010 · 1 Comment · आपबीती, लघु कहानियां
सडक पर चलना आजकल उतना जरुरी है जितना कि खाना खाना, नहाना या काम काज करना ! सडक पर हर आदमी को चलना पडता है चाहे वह कोई सादा सा साधारण मामूली आम आदमी हो या फिर खासमखास ! और आबादी मे अव्वल होने कि वजह से सडक पर ट्राफिक में चलना आसान नहीं रहा, […]
पागल की कहानी
April 2nd, 2010 · 14 Comments · लघु कहानियां
आज मेनें एक पागल को देखा ! जो फटे पुराने से गंदे चीथडे से होते जा रहे कपडों में लिपटा था ! लिबास से ही उसको पहचाना जा सकता था कि या तो वह पागल है या भिखारी ! बहुत गंदा सा शायद काफी दिनों से नहाया नहीं था । दाढ़ी बढ़ी हुई और बाल […]
Tags: उलजुलुल·तरस पागल की कहानी·दुनिया·पथ्थर·पागल·पागल की कहानी·बकवास·बच्चे
वो टाईल्स लगाने वाला कारीगर
January 9th, 2010 · 3 Comments · आपबीती, लघु कहानियां
एक बार की बात हैं, बहुत सालों पहले एक साधारण सा नौकरी पेशा आदमी ने अपनी हैसियत से थोडा उपर की सोच रखते हुए अपने मकान को थोडा व्यवस्थित करने के लिये मकान का काम चालू करवाया ! पता नहीं किस बुरे मुहु्र्त में ये सब शुरु हुआ था कि काम छः महिने से उपर […]