काकंरोली के विकास का एक प्रमुख मुद्दा काफी सालों से बस स्टेंड रहा था ! अब वो वक्त आ गया है जब मुख्य बस स्टेंड धोईन्दा जा रहा है ! पर कई लोगों को प्रशासन के इस कार्य पर भारी आपत्ति है ! सभी के अलग अलग मत है ! धोईन्दा बस स्टेंड को बने […]
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धोईन्दा बस स्टेंड और काकंरोली बस स्टेंड
July 1st, 2010 · 3 Comments · उलझन, राजसमन्द जिला
Tags: कमाने·काकंरोली बस स्टेंड·धोईन्दा बस स्टेंड·फायदे·बुरा·राजनैतिक
वही खिलौना लूंगा, मचल गया दीना का लाल
June 4th, 2010 · 3 Comments · उलझन
“वही खिलौना लूंगा, मचल गया दीना का लाल” आज न जाने क्युं मुझे स्कुल के समय में पढ़ी एक कविता की चंद पंक्तियां याद आ गई ! हठ के कुछ प्रकार है जैसे बालहठ, त्रियाहठ और राजहठ ! बाल हठ का अभिप्राय है बच्चे की जिद, त्रियाहठ यानी पत्नी की जिद या इच्छापुर्ती की आकांशा, […]
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रट्टु तोते
May 18th, 2010 · No Comments · उलझन
अभी अभी मेरी एक ए॓से शख्स से मुलाकात हुई जो एकदम स्वभाव व हाव भाव से ए॓सा है जैसा की फिल्म ३ इडियट्स में चतुर राममलिंगम का किरदार था ! आखों पर चश्मा जैसे की बडा ही भारी पढ़ाकू और थेले में कापी पेन और ना जाने क्या क्या ! बातें उंची, इतनी उंची की […]
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अच्छा देखें, अच्छा साहित्य पढ़ें, अच्छे विचार प्रकट करें
February 17th, 2010 · 1 Comment · उलझन
जी हां सभी लोग अच्छा देखें, अच्छा साहित्य पढ़ें और अच्छे व सटीक विचार प्रकट करें तो शायद बहुत सी समस्याओं का अन्त हो सकता है । शायद आपसभी ने कीप या कुप्पी को देखा ही होगा । इसका काम होता है, बोतल में पानी या कुछ भी भरने के लिये । अक्सर बोतलों के […]
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मन की भडास
September 12th, 2009 · No Comments · उलझन
मन की भडास सुबह सुबह का समय ना जाने क्यूं, बचपन से ही मुझे अच्छा लगता है, पर इस कोरे साफ सुथरे समय में भी कोई है, जो शायद यह समय ही चुनता है और निकालता है अपने मन की भडास । जाने कहां गन्दी गलियों में वह रहता होगा ना जाने कहां से हर […]
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