आज के टी.वी. चैनलों की जंग के जमाने में हर कोई नया दिखाना चाहता है, कोई चेनल अपने दर्शको को सस्पेंस की कहानिया बता रहा है तो कोई सनसनीखेज न्युज या स्टींग आपरेशन बता रहा है, हर किसी को अपनी टी.आर. पी. बढ़ाने कि फिक्र है । कोई चेनल भुत पिशाच, डायन आदि की डरावनी कहानिया बयां कर रहा है तो कोई तन्त्र मन्त्र व साधना के बारे में बता रहा है । शव साधना, शमशान, भुत बंगला, पुरानी हवेली, डराने मुखौटे और इस तरह की बातों के अलावा जेसे इन चैनल वालों के पास कुछ भी नहीं बचा है ।
हर किसी चीज को भुना रहे हें वे, कहने का मतलब ये है कि जो भी बिकता है वो बेचो, जमाना डिमान्ड और सप्लाई का है । कोमेडी के नाम पर भद्दी और द्विअर्थी संवाद कहे जा रहे हैं फिल्मों और नाटकों मे और नृत्य के नाम पर ना जाने कैसा भोंडापन दिखाया जा रहा है, । साथ ही एक और नई तलाश शुरु हई है वह हे आईडियल टेलेन्ट की खोज कौन है जो सबसे बेस्ट नर्तक, गायक या तेज दिमाग वाला है ।
एक जमाना वह भी था, जब दुरदर्शन का सिक्का चलता था, बोले तो राज चलता था उस जमाने में तब दुरदर्शन का । बहुत सारे सिरियल हमें क्या पूरे जमाने को पसंद थे जेसे महाभारत, हम लोग, कहां गए वो लोग, नुक्कड, मालगुडी डेज, रामायण, जंगल बुक, डिस्कवरी आग इन्डिया और चित्रहार । याद है जब बाजार के बाजार खाली वीरान हो जाते थे और हर कोई महाभारत या रामायण देखने के लिए चले जाते थे । रोजाना चर्चाएं हुआ करती थी कि कल वो भीम उस राक्षस को मार देगा, या इसी तरह की बाते होती थी । और सभी लोग अगले दिन का प्रोग्राम देखना नहीं भुलते थे।
हमें अच्छी तरह से याद है उस जमाने में जब हम अपने पुराने ब्लेक एंड व्हाईट टी.वी. के सामने बेठते थे, तो किसान भाईयों के लिए आने वाला कृषि दर्शन और मूक बधिरों के समाचार भी बडे चाव से देखे जाते थे । बीच बीच में आने वाले छोटे विडियो जेसे की “मिले सुर मेरा तुम्हारा” , “प्यार की गंगा बहे देश में एका रहे“, “स्कूल चले हम“, “सुरज एक चंदा एक तारे अनेक, एक चिडीया अनेक चिडीयां” “एक अन्न का ये दाना सुख देगा मुझको मनमाना” आदि भी बहुत ही चाव से देखे जाते थे ।
इनमें से मेरा पसंदीदा थाः मिले सुर मेरा तुम्हारा और डिस्कवरी आफ इन्डिया का टाईटल सांग (विश्वास ना हो तो अभी बोल कर देखिए पूरा गा कर सुना सकता हूं, पर अपनी आवाज अच्छी नहीं है, तो और क्या कर सकते हैं )
“मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा
सुर की नदियाँ हर दिशा से बहते सागर में मिलें
बादलों का रूप ले कर बरसे हल्के हल्के
मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा
मिले सुर मेरा तुम्हारा, मिले सुर मेरा तुम्हारा !!”
अभी पिछले दो दिन से में पुरा पुरा दिन इन्टरनेट पर बैठ कर यही काम कर रहा हुं, इन सारी पुरानी यादगार धुनों व इनके यादगार विडियो फाइलों को अपने कम्प्यूटर पर इकट्ठा करने का । कुछ मोती जो मेनें इन्टरनेट की दुनिया से चुने हैं वे हैः
- बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर , हमारा बजाज
- मिले सुर मेरा तुम्हारा
- कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेशु कदाचन महाभारत टाइटल
- एक चिडीया अनेक चिडीया
- भारत एक खोज टाइटल
- प्यार की गंगा बहे देश में एका रहे
- लता मंगेशकर का वन्दे मातरम
- सुरभी टाइटल सांग
- जंगल बुक टाइटल और भी इस तरह के ही कुछ और रत्न मुझे इकठ्ठा करने हैं, और इस हेतु में प्रयासरत भी हुं । कुछ आपको भी इस तरह का कुछ मिले तो जरुर बताइयेगा ।
Dinesh Malviya // Mar 26, 2008 at 4:26 am
agar aap mujhe bhej saken to aapka bahut shukraguzar rahunga. krapaya email kardijiye (din.mly@gmail.com)
-Bharat ek khoj (Tital track)
-Mahabharat (Tital track, Shlok, Mantra)
bahot-bahot dhanyawad.
समीर लाल // Mar 26, 2008 at 11:53 am
सुन्दर और बेहतरीन आलेख…बधाई पुरानी यादों में ले जाने के लिये.
narottam // May 2, 2008 at 5:17 am
kya jakkas kaam kiya hai. maja aa gaya
ashwan // Aug 3, 2008 at 11:46 pm
dost aap ko dd durdersen ki sait ya une smprak kake bhi help mil sakta he mere pas jangel book mogli ka titel song he pr wo 15 sekind ka he
SHRIKANT // Aug 11, 2010 at 5:19 am
Very good article . These type of serial r not available today
मोहनीश दीवान // Mar 13, 2014 at 11:38 am
डीडी नेशनल और डीडी मैट्रो दोनो चैनल के साथ खुब मंनोरजन किया हुँ जब मै छोटा था उस समय हर रविवार धार्मिक सिरियल से लेकर शक्तिमान तक देखते थे या सुबह 8 बजे से 12 तक टीवी चलती थी । आज जमाने का टीवी देखने में उतना आनंद नही आता जितना पहले आता था । कार्यक्रम दिखाने का समय बहुत बढ़िया सेट था आजकल टीवी में एक शो को बार-बार रिपिट करता रहता है । अलग-अलग किस्म के कार्यक्रम को एक ही चैनल के वजाय अलग-अलग चैनल में दिखाया जाता है…जिससे टीवी देखने की इच्छा खत्म हो जाती है । कोई भी इंसान टीवी के सामने चिपके नही रहना चाहता वह समय पर टीवी देखना पसंद करता है अब वो जमाना चला गया जो पहले सही समय पर टीवी देखा करते थे । साथ ही दुरर्दशन के साथ-साथ जीटीवी और सोनी भी सही कार्यक्रम दिखाता था ।