लिजीये फिर से चुनाव होने वाले हैं, और विभीन्न चुनावी चर्चाओं के बाजार गर्म हैं | हर कोई अपनी अपनी चुनावी पार्टी में अपनी खुद की महत्ता को सिद्ध करने मे लगा हुआ है, की हम फलां आंदोलन के भाषण में थे, फलाना रेलीयों में हमने बढ़ चढ़ कर भाग लिये थे, और आलाकमान आप चाहे आपकी खिदमत नें पुराने फोटो और विडीयो की सीडीयां भी प्रस्तुत हैं बस अब की बार सिर्फ मुझे टिकट दिलवा दो, प्लीज प्लीज………… |
अब देखना ये है कि उपर के लोग किसके कांधे पर हाथ रखते हैं, या फिर कोई छुटभैये कैसे जोड जुगाड लगा कर अपनी बात सिद्ध करवा ही ले, सब तरफ सब तरफ भाई भतीजावाद, भ्रष्ट्राचार और रिश्वतखोरी का आलम जो हैं, पता ही नहीं चलता है कि कौनसी राजनीतीक पार्टी साफ छवी वाली हैं, फिर इन तथाकथित राजनीतीक पार्टीयों में उपर के लोग भी तो ग्राहक को देखते हैं कि कौन जिम्मेदारी उठाने के योग्य है भी नहीं कि बाद में पता चले लुटिया ही डूब गयी |
राजनीती गंदी नहीं है पर लोग इसे गंदा बनाते हैं, अच्छे लोग चाहे तो क्या कुछ नहीं हो सकता हैं हमें तो कभी याद नहीं आता कि किसी मोहल्ले का पार्षद चुनाव के बाद भी अपने मुहल्ले में जनसंपर्क करके लोगो से उनकी तकलीफे पूछता हो | अलबत्ता उसने चुनावी समय में हर किसी को हाथ जोड जोड करके अपने पक्ष में वोट करने की अपीलें की हो | ये नेता लोग अपने एरिये से जीतने के बाद ए॓से गायब होते हैं जैसे गधो के सिर से सींग |
पर अब हम किसे वोट देवेः
अब किसी ना किसी को तो वोट देना ही होगा, इसलिये सिर्फ और सिर्फ इमानदार, हर किसी की मदद करने वाले और खास तौर से साफ छवी वाले व्यक्ति को ही हमें वोट देना चाहिये |
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