टाईटल पढ़ते ही चौंक गए ना ! आप सों रहे होगें की फिर से कोई ट्रक या बस से सबंधित बात होगी पर एसा नहीं है । अक्सर ट्रकों के पीछे लिखे ये टाईटल “हार्न ओ. के. प्लीज“ सभी को याद आते हैं । आज शाम को स्कूटर से चक्की तक जाते जाते कुछ घटना ही एसी घटित हुई की इस पर कुछ लेखनी घिसने का मानस बन ही गया । यूं तो हम हैं एक नम्बर के आलसी राम, तो इस हिसाब से अब तक जिन्दगी में गिनती की बार गेहूं को पिसवाने के लिए आटा चक्की पर ले गए होंगे, पर क्या है कि मुसिबत कह कर नहीं आती तो हमें भी जाना पडा ।
तो साहब हम नहा धो कर आए ही थे और चक्की पर जाना पडा, इस बात से पहले ही टेंशन हो रही थी पर हमने गेहूं के कट्टे को स्कूटर के आगे रखा और स्टार्ट किया । मुश्किल से पांच मीटर की दूरी भी तय नहीं कि थी कि कोई सामने आ गया । थोडा रास्ता जाम हो गया अब कोई दूसरे लोग भी किसी के निकलने का दो पल इंतजार कर रहे हैं तो अपने को भी रूकना पडा, सडक पर पेर टिकाया ही था कि पीछे से पता नहीं कौन कम्बख्त (शायद कोई रईस जादा रहा होगा ) अपनी नई मोटरसाईकिल ले कर आ गया उसे शायद थोडी जल्दी थी । सडक संकरी थी और आस पास से कट मार कर निकलने की भी जगह नहीं थी । तो वह अपनी मोटरसाईकिल के अजीब के टाईप हार्न को बजाने लगा । बजाया ही क्या जी बार बार बजाने लगा । मेनें गुस्से में घूरते हुए पीछे मुड कर देखा एक लडका था । एक दम लेटेस्ट कपडे पहने चश्में में स्टाईल मार रहा हीरो या कह दो कि विलेन टाईप लग रहा था ।
उसकी मेरी नजर मिली, मेरे गुस्से में घूर कर देखने के बावजूद भी वह नहीं संभला और लगा फिर से हार्न बजाने । एक बार तो एसा इतना गुस्सा आया कि स्कूटर खडा कर के इस शख्स को दो तमाचे लगा दूं । पर वो गाने की एक लाईन है ना “मन की बात मेरे दिल से ना निकली, ए॓से तडपुं के जैसे जल बिन मछली” । बस समझो कि वैसा ही हमारा हाल था, खेर हमने अपने गुस्से को पी जाना ही ठीक समझा और इतने में क्या थोडी जगह मिल गई और वो मोटरसाईकिल वाला दनदनाता हुआ कट मार कर आगे निकल गया ।
कहानी में ट्विस्ट तब आया कि जब वह मोटरसाईकिल सवार थोडा आगे ही गया होगा कि सडक पर फिर से छोटा सा जाम लग गया । और मियां हम थे जस्ट उस बन्दे के पीछे । तो अब की बार बारी हमारी थी । टिट फोर टेड का जमाना है और भगवान नें बदला लेने का इतना अच्छा मौका दिया था कि क्या कहें हम बस । हमने भी मन में भगवान को लाख धन्यवाद देते हुए होर्न पर उंगली दबाई और उंगली नहीं हटाई । अब पीछे की तरफ मुड कर उन जनाब ने हमारी तरफ देखा । पर अपन नें भी शर्म जैसे बेच कर खा रक्खी थी । हमारा हार्न था कि अनवरत हार्न बजता रहा था और उस पट्ठे का हाल शायद बुरा था जो अपने ही बनाए जाल में बडी बुरी तरह से फंस चुका था । शायद उस व्यक्ती को अपने किये का अपराधबोध हो चुका था । खेर कुछ ही पलों में सडक साफ हो गई और अपन अपने रास्ते और वे महाशय उनके रास्ते पर निकल गए । थोडी देर बाद हम चक्की पर आटा पिसवा रहे थे और वापस लौट कर आ गए पर ये घटना जेहन में जैसे घुम ही रही थी ………घुम ही रही थी ।
mamta // Apr 16, 2008 at 11:18 am
आपने बिल्कुल ठीक किया।
Brijmohanshrivastava // Apr 17, 2008 at 12:35 pm
बहुत बढ़िया -मजा आगया -एक एक लाइन मजेदार घटना का वर्णन ऐसा की आँख बंद करो तो वह हीरो टाईप विलेन या विलेन टाईप हीरो दिखने लगे -जरा उसके पोशाक और निर्जीब तेजहीन चेहरा बडे बाल उन पर रखा हुआ चश्मा का भी वर्णन कर देते हालांकि लेख बडा हो जाता लेकिन आनंद आजाता आपके पूरे लेख आज नहीं पडूंगा एक एक का धीरे धीरे आनंद लूंगा आज की शाम हार्न ओ के प्लीज के नाम साधुवाद
sukhveer boss // Jun 17, 2015 at 10:46 pm
bahut accha likha hay dost