हल्दीघाटी का युद्धः
मुगलों और महाराणा प्रताप की सेना के बीच हल्दीघाटी में एक ए॓तिहासिक युद्ध हुआ | युद्ध बडा घमासान था | युद्ध के दौरान दोनों सेनाओं के हजारों सेनिक मारे गये, पर यह युद्ध अनिर्णीत ही रहा |
हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के प्रिय अश्व चेतक के बलिदान को क्या कोई भूल सकता है | महाराणा प्रताप के प्रिय घोडे चेतक का बलिदान आज के समय में भी प्रासंगिक हैं |
पर इसके पश्चात भी महाराणा प्रताप नें संघर्ष करना नहीं छोडा और अपने भील सहयोगियों की सेना के साथ अरावली की पहाडीयों में छिप छिप कर वे मुगल सेना पर बारम्बार वार करते रहे | मेवाड के भील जाति के लोग अपनी निष्ठा और निश्छल प्रेम के कारण जाने जाते हैं | भीलों नें प्रताप का पल पल साथ दिया |
इसी कारण ही महाराणा प्रताप को राजस्थान और मेवाड में देवता तुल्य माना जाता रहा हैं | उन्हें प्रातः स्मरणीय भी कहा जाता है, यह मेवाड के लोगों की असीम श्रद्धा और भावना है |
महाराणा प्रताप का संघर्ष एक व्यक्ति, जाति विश॓ष या किसी छोटे बडे भूभाग का संघर्ष नहीं था, यह एक तरह का स्वाधीनता का संघर्ष था, हजारों लोग उनके साथ थे, और उन्हे आम जनता का सहयोग प्राप्त हुआ | प्रताप जनता के प्रति वफादार थे और स्वहित की बजाय पूरी प्रजा के हित की बात करते थे |
शंकर सिंह // Apr 16, 2012 at 2:59 am
कृपया जानकारी को और विस्तृत करने का पर्यत्न करे
Rajesh // Mar 11, 2015 at 3:12 am
Waakai bharat ke is veer putra ne maati ka karz chukaate hue ham sabhi per ek ehsaan kiya, agar Pratap ghutne tek dete toh Bharat per Muslim Samrajya ka adhikar ban jaata.
Jai mewar
Jai Pratap
ketan kumawat // Dec 3, 2015 at 12:02 pm
जय मेवाङ
hemant // Feb 9, 2016 at 11:05 pm
Jai mewar
VIKRANT SHARMA // Apr 28, 2016 at 4:56 am
शानदार शायरी हैं।
Himanshu Gola // Jan 23, 2018 at 6:15 am
महाराणा प्रताप के जीवन मे हल्दीघाटी युद्ध का बड़ा योगदान रहा है। इस युद्ध ने उन्हें एक अछे योद्धा के साथ कुशल रणनीतिज्ञ होने का महत्व समझया जिस को उन्होंने बहुत अछे से सिका और मुग़लो के नाक मे दम कर दिया। उनका जीवन ना सिर्फ हर भारीतय बल्कि विश्व के हर एक इंसान के लिये प्रेरैना स्रोत्र है जो स्वतन्त्रता की अहमियत और प्रतातंत्र कि कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तैयार है। जय प्रताप जय भारत।।