कुछ बातें महाराणा राज सिंह जी के बारे में:
कांकरोली राजसमंद या कहें की राजनगर के राजा महाराणा राज सिंह जी का जन्म 24 सितंबर 1629 को हुआ | उनके पिता महाराणा जगत सिंह जी और मां महारानी मेडतणीजी थी | मात्र 23 वर्ष की छोटी उम्र में यानी 1652-53 में उनका राज्याभिषेक हुआ था | महाराणा राज सिंहजी ना सिर्फ एक कलाप्रेमी, जन जन के चहेते, वीर और दानी पुरुष थे बल्कि वे धर्मनिष्ठा, प्रजापालक और शासन संचालन में भी बहुत कुशल थे | उनके कार्यकाल के दौरान सभी को उनकी दानवीरता के बारे में जानने का मौका मिला |
महाराणा राज सिंह जी ने कई बार सोने चांदी, अनमोल धातुएं, रत्नादि के तुलादान करवाये और योग्य लोगों को सम्मान से नवाजा | राजसमंद झील के किनारे नौचोकी पर बडे बडे पचास प्रस्तर पट्टों पर उत्कीर्ण राज प्रशस्ति शिलालेख बनवाये जो आज भी नौचोकी पर देखे जा सकते हैं | इनके अलावा उन्होनें अनेक बाग बगीचे, फव्वारे, मंदिर, बावडियां, राजप्रासाद, द्धार और सरोवर आदि भी बनवाये जिनमें से कुछ कालान्तर में नष्ट हो गये | उनका सबसे बडा कार्य राजसमंद झील पर पाल बांधना और कलापुर्ण नौचोकी का निर्माण कहा जा सकता है जिसमें उस जमाने में करोडों रुपयों की लागत लगी थी |
राणा राज सिंह जी की वीरता और प्रभुभक्तिः
महाराणा राज सिंह जी एक महान इश्वर भक्त भी थे द्धारिकाधीष जी और श्रीनाथ जी के मेवाड में आगमन के समय स्वयं पालकी को उन्होने कांधा दिया और स्वागत किया, जिससे हमें उनकी धर्मनिष्ठा के बारे में पता लगता है | महाराणा राज सिंहजी ने बहुत से लोगों को अपने शासन काल में आश्रय दिया, उन्हे दूसरे आक्रमणकारी लोगों से बचाया व सम्मान पुर्वक जीने का अवसर दिया | इसी कडी में उन्होने एक राजपूत राजकुमारी चारूमति के सतीत्व की भी रक्षा की | महाराणा की वीरता का इससे बडा क्या उदाहरण हो सकता है, कि अपने से काफी शक्तिशाली राजा ओरंगजेब को भी जजिया कर हटाने और निरपराध भोली जनता को परेशान ना करने के बारे में पत्र भेज डाला | कहा जाता है कि उस समय मुगल बादशाह ओरंगजेब की शक्ति अपने चरम पर थी, पर प्रजापालक राजा राजसिहजी ने इस बात की कोई परवाह नहीं की |
महाराणा राज सिंह जी के शासन काल का समय एक स्वर्णिम युग थाः
राणा राज सिंह स्थापत्य कला के बहुत प्रेमी थे | कुशल शिल्पकार, कवि, साहित्यकार और दस्तकार उनके शासन के दौरान हमेशा उचित सम्मान पाते रहे | वीर योद्धाओं व योग्य सामंतो को वे खुद सम्मानित करते थे अतः कहा जा सकता है कि राणा राज सिंहजी के शासन काल का समय मेवाड में एक तरह का स्वर्णिम युग था |
राजेन्द्र स्वर्णकार // Oct 14, 2011 at 7:35 am
महाराणा राज सिंह जी के बारे में आपका यह आलेख बहुत अच्छा लगा ।
राजस्थान की रजवाड़ा संस्कृति का स्मरण कराने के लिए आभार !
आपको सपरिवार त्यौंहारों के इस सीजन सहित दीपावली की अग्रिम बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
Dr. Kailash Brijwasi // Apr 30, 2012 at 3:37 am
Good efforts you have done.
Congratulations. Keep these information update.
with best wishes.
Dr. Kailash Brijwasi
Arjun Rathod // Jan 30, 2017 at 12:16 pm
Please provide me,,that what is jajiya kar