गांव गांव शहर शहर में मोबाइल क्या हुए आफत हो गई हमारे जैसे लोगों के लिए तो । शांति से कोई जीने नहीं दे रहा है, और जहां देखो वहां कोई ना कोई जान का दुश्मन जोर जोर सेः हेलो, हेलो आवाज नहीं आ रही है, जरा तेज बोलो,, कह कर परेशान किये जा रहा है और अपने राम जी के सब्र का इम्तिहान लिए जा रहा है ।
ये सब किया इन गुजराती बंधुओं का है जिन्होने 500 – 500 रपये में लोगो को मोबाइल फोन पकडा दिए, अब ठेले वाला हो या करोडपति इस मोबाइल के मामले में सब एक ही श्रेणी में आ गए । इस पर से बाजार में हर कंपनी के प्रतिदिन नए नए मोबाइल उपकरण आ रहे, लोग काम काम रहे है और फालतु की बातें ज्यादा कर रहे हैं । तेज आवाज वाली व उलजुलुल रिंगटोन्स का प्रचलन इतना हो गया है कि किसी शोक सभा या सत्संग में बैठे हुए लोगों के बीच जब तेज आवाज में लोगों की तन्द्रा भंग करती हुई “जलक दिखला जा” या “कुत्ते की भों भों” वाली रिंगटोन बज उठती है तो भी एसे व्यक्ती को शर्म का एहसास नहीं होता, वह शान से जेब के अन्दर हाथ डालता है, मोबाइल हाथ में लेता है और वह फोन उठाता नहीं है, दो मिनट तक स्क्रीन को ही देखता है कि किस का फोन आ रहा है, बाद में जब लगता है कि पवास लोगों मे उसके मोबाइल फोन का वट्ठ पड चुका है तो फोन उठा कर जोर से बोलता हैः हैलो, हेलो और फिर दस मिनट तक ना रुकने वाला वार्तालाप चालु हो जाता है ।
लोग मोबाइल फोन को खिलोना बना चुके है, एक बार की बात है अपने राम जी का फोन भी गलती से एक शवयात्रा में बज उठा, इस बात का हमें बहुत पछतावा हुआ, अन्तर्मन से ग्लानी सी महसुस हुई । पर थोडी देर बाद शमशान पहुंचते पहुंचते देखा तो विश्वास नहीं हुआ, पचास में से बीस लोगों के मोबाइल रह रह कर बज रहे थे, लोग यहां एसी जगह पर भी फालतू की बातें करने में मशगूल थे । फिर लगा कि लगता है अपन गलत वक्त में पैदा हुए है, लोगों को इस बात का तनिक भी मलाल नहीं है, और अपन हें कि दुनिया भर की टेंशन लिए बैठे है कि आखिर एसा हुआ क्यों । लोगों को इतना भी नहीं है कि कोई परिजन दुनिया छोड कर जा चुका है, तो उसका आखिरी क्रियाकर्म शान्ति से रस्मों रिवाज के साथ निबटा लिया जाए ।
आजकल हर व्यक्ती अपने अपने मोबाईल उपकरण को दुसरे व्यक्ति के मोबाईल उपकरण से बेहतर बताने की कोशिश कर रहा है, कोई कह रहा है कि इसमे टू मेगापिक्सल का केमरा है, फलाने में मेमोरी कार्ड है ढ़िकाने में टच स्क्रीन है, ये है वो है । अरे लानत है यार, काम की बात तो करते नहीं और ये मोबाइल की थोथी बातें करते हो ।
मंदिर, मस्जिद हो या अस्पताल या फिर शादी हो या बर्थडे पिकनिक हो या स्कुल, हर जगह मोबाइल बज रहे हैं, बजते ही जा रहे हैं, जाने कब ये खामोश होंगे, हमेशा के लिए । एक दुसरे को लोग मिस काल कर रहे हें, और मात्र आठ आने के बच जाने पर भी भारी खुशी में झूम रहे हें फिर दुसरी तरफ चाहे हजारों लाखों का खर्चा या नुकसान हो रहा हो तो उसकी कोई परवाह नहीं है । देसी भाषा में एक कहावत है कि शक्कर सुनी जा रही है पर लून (नमक ) के पहरा देना । आजकल के वास्तविक जीवन में भी यही सब हो रहा है ।
pinky // Nov 24, 2008 at 6:12 am
bhaot hi acch likah hai aja jo log kar rahi hi use bahot hi pyare sabo me kaha hai..
Seema // Nov 2, 2009 at 9:12 am
bohot accha hai
lalu // Jun 15, 2011 at 9:26 am
kyaaaaaaa booooolllllluuuuuuuuuu?