एक बार की बात है मुझे किसी एक विषय वस्तु या घटना पर थोडे दुःख को झेलना पडा, संवेदनशील व्यक्ति को छोटी सी पीडा भी बडी लगती हैं, वह विषय था लोगों का सडकों पर बहुत जोर शोर से हंगामे करने का | चाहे उसके कारण आस पास के कई लोगों को प्रत्य्क्ष या अप्रत्य्क्ष नुकसान हो रहा हो या दुःख झेलना पड रहा हो, पर वे लोग तो हंगामें करेंगे | तो मेने कुछ लिखा उस घटना के बारे में, मेरे एक मित्र नें उस घटना पर मेरे नेगेटिव या नकारात्मक विचार पढ़े और पूछाः भाई तुम ए॓से तो किसी नाचती गाती हुई बारात को भी गलत ठहरा दोगे |
मेनें कहाः गलत है बिलकुल, अगर वह नाचती गाती हुई बारात किसी अस्पताल के नजदीक से गुजरती हो और बाराती लोग उसी तल्लीनता से हील हुल्लड और हंगामे करते हो | जबकि अंदर मरीजों को उन फिल्मी गानों का शोर बर्दाश्त ही ना हो रहा हो, वे रोगी लोग पहले ही कष्ट झेल रहे हैं, शांति व आराम चाहते हैं, और तुम हो कि उसकी शांत रहने की स्वतन्त्रता में खलल डालते ही जाते हो, डालते ही जाते हो ….. ये गलत हैं |
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