हरियाली का मौसम फिर से आ चुका है । आज सावन के महिने का आखिरी दिन है । राखी का पवित्र त्योहार भी पास है, और ठीक ठाक सी बारिश के बाद भी यहां आस पास के खेत हरे भरे हो चुके है । पेश है एक बहुत ही उम्दा नगमा ” नील गगन पर उडते बादल… आ आ आ” जो है फिल्म खानदान (1965) से । रफी साहब की अभी अभी सभी ने याद किया ही था । यह गीत भी उनके ही बहुत बढ़िया गानों में से एक है, गाने में उनका साथ दिया था आशा भोंसले नें ।
सुनील दत्त साहब और नूतन पर फिल्माया हुआ यह गीत आज के जमाने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देता है । पहले लोग कितने खुश रहते थे क्योंकि वे प्रकर्ति के इतना नजदीक रहते थे, और आज का समय एकदम से अलग हो चुका है, लोग बस अपनी ही धुन में लगे हुए हैं, क्या कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं कुछ पता नहीं । खैर छोडो अपने को क्या ?
इस गाने के बोल इस प्रकार हैं
नील गगन पर उडते बादल… आ आ आ
धूप में जलता खेत हमारा कर दे तु छांया ।
छुपे हुए ओ चन्चल पंछी ….जा जा जा
देख अभी है कच्चा दाना पक जाए तो खा ।
तो आनंद लिजीये इस बेहद ही अनोखे गाने का, सोचिए कैसे थे वे कलाकार लोग, जो सालों पहले हमें हरियाली से नाता जोडे रखने का संदेश दे गए ।
विजय त्यागी // Sep 26, 2013 at 11:28 am
मनमोहक गाना