इ. एम. आर.आई. यानी इमरजेन्सी मेनेजमेन्ट एंड रिसर्च इन्स्टीट्यूट और राजस्थान सरकार के सानिध्य में एक निःशुल्क सेवा 108 का प्रारंभ किया गया है जो कि अब राजसमन्द में भी शुरु हो चुकी है ! यह बडे ही हर्ष की बात है !
पुलिस, फायर फाइटिंग या किसी भी प्रकार के आपातकाल की और एम्बुलेन्स की सेवा हेतु एक वेन होती है, इस वेन में फस्ट एड चिकित्सा के उपकरण, फायर फाईटींग के साजो सामान, और अन्य जरुरी चीजें होती है !
जो कि आम जनता की सेवा हेतु चौबीसों घंटे उपलब्ध रहती है बस फोन या मोबाइल से हमें बिना किसी कोड को लगाये, डायल करना होता है एक सौ आठ !
पुरे राजस्थान राज्य में ए॓सी चार सौ पचास एम्बुलेंस चालू की गई है जो कि अब जन सेवा हेतु प्रयोग मे लाई जायेंगी ! तो अब से राजसमन्द की जनता भी किसी भी प्रकार के आपातकाल में इस सेवा का प्रयोग कर सकती है !
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ए॓सा मुझे पहले भी कई दफा महसूस हो चुका है कि जो चीज के बारे में मै सोच रहा होता हूं या अपने विचार किसी और से व्यक्त करता हूं कुछ ही समय में वह काम मुझे होता दिखाई देता हैं ! फिर लगता है कि काश कुछ और भी सोचा होता तो वह लालसा भी पुर्ण जरुर होती ! तो खबर का असर कुछ हुआ जरुर है और ए॓तिहासिक कमल बुर्ज की छतरी का कुछ कायापलट हुआ है ! बहुत अच्छा लगा !
अभी तेरह जनवरी के दिन ही मेंने यहां साईट पर एक आर्टिकल लिखा था ए॓तिहासिक कमल बुर्ज की छतरी की व्यथा के नाम से, जिसमें वहां छतरी पर उग आये पेड पोधों से ए॓तिहासिक कमल बुर्ज छतरी को होने वाले नुकसान के बारे में चित्रण किया था !
आज में पांच फरवरी को वहां देखता हूं कि थोडी बहुत साफ सफाई हो चुकी है और छतरी की छत पर उग आये पेड पोधे व खरपतवार लगभग साफ हो चुकें हैं ! ये काम जरुर किसी अच्छी सोच रखने वाले व्यक्ती या संबंधित विभाग का हो सकता है, में सभी पुरातत्व प्रमियों कि तरफ से कोटि कोटि धन्यवाद प्रेषित करता हुं !
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राजसमंद झील की एरिगेशन पाल पर अंत जाने पर ए॓तिहासिक कमल बुर्ज की छतरी आती है ! पाल के अंत में बनी होने के कारण ही शायद ये सब अन्य छतरियों के मुकाबले में काफी बडी और भव्य है ! वैसे एरिगेशन पाल पर गार्डन भी बना हुआ है और बुजुर्ग लोगों की मंडली के कारण धीरे ही सही पर थोडा बहुत विकास हो रहा है !
पर प्रकृर्तिप्रेमी, व्यायाम और टहलने के शौकीन लोग पर के अंत में कमल बुर्ज की छतरी तक पैदल व दौड कर जाना पसंद करते है ! कई लोग यह भी कहते हैं कि यह मगरमच्छ के आगे वाले गेट से जब आगे कमल बुर्ज की छतरी पर पैदल चलते हुए जाते है तो असली आनंद यहीं मिलता है ! इससे पहले तो सब मोह माया है, जन्नत यहीं से शुरु होती है ! असीम शांति और यहां कोई भी डिस्टर्ब करने वाला नहीं !
कमल बुर्ज की छतरी आजकल बहुत ही उदास और व्यथित है, और ये अपनी व्यथा अपने रोजाना आने वाले दोस्तों से कहती है, उनमें से एक में हूं अतः इस दुखी छतरी के उचित रखरखाव की यहां जो भी व्यक्ति या विभाग है उनसे गुजारिश करता हूं वह जो इस सब कार्य से समबद्ध है और वास्ता रखता है !
पूरी पाल के अंत में आने के कारण यह विशेष महत्व भी रखती है और यहां छतरी के अंदर गुम्बद पर काफी अच्छी नक्काशी देखी जा सकती है ! यहां के फोटो जरुर देखें ! छतरी के चारों तरफ अच्छी खासी कलाकारी देखी जा सकती है पर यह पुरातात्विक महत्व की अमूल्य जगह उचित मेनटेनेंस के अभाव में ए॓से ही अपनी व्यथा पर आंसू बहा रही है !
ए॓तिहासिक कमल बुर्ज की छतरी के बारे में खास बातें जो ध्यान देने योग्य हैः
- आने जाने वाले मनचले नवयुवा यहां अपनी यादें छोड कर जाते है और कईयों नें कोयले से निशान पे निशान बना डाले हैं, कहीं भद्दी गालियां तो कहीं प्रेम की पींगे बढ़ाते हुए शब्द !
- पेड पौधे छतरी की छत पर उग कर काफी बडे हो चुकें है व समय पर नही हटाये गये तो पेड की जडों से छतरी की छत का भारी नुकसान हो सकता है !
- छतरी के चारों ओर रेलिंग बन जाए तो कहने ही क्या !
- और भी कुछ टूट फूट है व इसे भी रिपेयरिंग की दरकार है !
- रखरखाव के नाम पर जो आरास से पुताई यहां कर दी गई, वह यहां के पुरातात्विक महत्व को और भी नुकसान पहुंचा रही है ! मिस्त्रीयों की मानें तो संदले के उपर पुताई करना मुर्खता है !
कमल बुर्ज की छतरी के फोटो जरुर देखेः
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हां तो लिजिये फिर से एक बार कुभंलगढ़ किले पर आयोजित होने वाले मुख्य तीन दिवसीय त्योहार कुभंलगढ़ फेस्टीवल का आगाज होने जा रहा है ! यह महोत्सव हर साल एक नये तरह का जज्बा ले कर आता है, दूर दूर से नृत्य व गायक कलाकारों को यहां अपनी प्रस्तुतियां देने के लिये बुलाया जाता है और तीनों दिनों तक एक अलग ही तरह का नजारा देखने को मिलता है !
यहां पर रस्साकशी, जल्दी साफे और पगडी बांधने कौ प्रतियोगिता आदि भी काफी रोमांचकारी होते हैं ! अगले हफ्ते से यह कुभंलगढ़ फेस्टीवल 2010 तीन दिनों के लिये शुरु हो रहा है, इस दौरान लाइट एंड साउंड शो वाले कार्यक्रम भी शाम छः बजे से रहेंगे !

राजसमंद के जिला प्रशासन और राजस्थान के पर्यटन विभाग कि बदौलत अब कु्भंलगढ़ किले में कुछ सुविधायें भी बढ़ गई है और ये महोत्सव पर्यटकों को भी काफी मात्रा में आकर्षित करता है ! राजस्थान के पुरातत्व विभाग की तरफ से भी यहां कुछ सुविधाएं प्रदान की गई हैं को जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को काफी सुविधाएं प्राप्त हो रहीं है !
बहुत से देशी और विदेशी पर्यटक ये उत्सव देखने के लिये आते हैं, और यह अच्छी बात है कि राजसमंद के जिले का भी पर्यटन के लिहाज से कुछ ना कुछ तो विकास हो ही रहा है ! कुभंलगढ़ फेस्टीवल 2010 के कार्यक्रम बहुत सफल रहें यही सभी की कामना है !
फोटो सौजन्यः http://www.flickr.com/photos/blakekirkland/3354227730/
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November 14th, 2010 · आपबीती, उलझन
क्या किसी ने केसरिया रंग के मफलरनुमा कपडे गले में डाल लिये तो वह भगवान का दूत हो गया है ?
क्या कोई रेली निकालने वालों के लिये सडक के ट्रेफिक नियम कुछ भी नहीं ?
क्या किसी को हक है कि वह राह चलते किसी भी आम शहरी को धौंस के साथ बाजू में होने को कहे ?
जी हां ये सवाल मेरे मन में कौंधे जब में कल शाम अपनी मोटरसाईकिल से सीधे सीधे मुखर्जी चौराहा से शहर के बस स्टैंड की तरफ जा रहा था ! पीछे से अचानक जोर जोर से होर्न की कान फोडू आवाजे आनें लगी ! मेनें अपनी कम रफ्तार से चल रही मोटरसाईकिल को थोडा साईड में किया कि तभी पास से चार पांच मोटरसाईकिलें स्पीड से निकली, हर मोटरसाईकिल पर दो दो व्यक्ति बेठे थे जो किसी संघठन के व्यक्ति थे जो केसरिया रंग के मफलरनुमा कपडे गले में पहने हुए थे !
वे सभी को झिडकने के और धौंस जमाने के अंदाज में साईड हटने को कह रहे थे ! और उन मोटरसाईकिलों के पीछे कोई मेहमान वी आई पी की दो तीन कारें थीं !
और उसी दौरान अचानक कई सारे सवाल मेरे मन में बिजली की तरह कौंधे ! क्या किसी भी संस्था विशेष या संघठन के लोगों को यह हक है कि आम शहरी लोगों से भरी भीड वाली सडक पर ट्रेफिक के नियमों की धज्जियां उडाते हुए हर किसी को बाजू होने को कहे !
अगर कोई विशिष्ट आदमी है, और इतना ही जरूरी है तो सरकार और प्रशासन उसके स्वागत का प्रबंध करें, कोई संघठन के गुंडे नुमा व्यक्ति क्यों करते हैं ये सब !
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