काकंरोली का बस स्टेंड फिर से पुरानी जगह पर जा रहा है
January 15th, 2014 · उलझन, नई खबरें, राजसमन्द जिला
→ 2 टिप्पणींयांटैग्सः काकंरोली का बस स्टेंड·दुकानों की ग्राहकी·दुर्घटनाएं·प्रशासनिक अधिकारीयों व स्थानिय नेताऔं के अदूरदर्शितापूर्ण कार्य·लंगोट चौराहा
चुनावी चर्चा
October 5th, 2013 · उलझन
लिजीये फिर से चुनाव होने वाले हैं, और विभीन्न चुनावी चर्चाओं के बाजार गर्म हैं | हर कोई अपनी अपनी चुनावी पार्टी में अपनी खुद की महत्ता को सिद्ध करने मे लगा हुआ है, की हम फलां आंदोलन के भाषण में थे, फलाना रेलीयों में हमने बढ़ चढ़ कर भाग लिये थे, और आलाकमान आप चाहे आपकी खिदमत नें पुराने फोटो और विडीयो की सीडीयां भी प्रस्तुत हैं बस अब की बार सिर्फ मुझे टिकट दिलवा दो, प्लीज प्लीज………… |
अब देखना ये है कि उपर के लोग किसके कांधे पर हाथ रखते हैं, या फिर कोई छुटभैये कैसे जोड जुगाड लगा कर अपनी बात सिद्ध करवा ही ले, सब तरफ सब तरफ भाई भतीजावाद, भ्रष्ट्राचार और रिश्वतखोरी का आलम जो हैं, पता ही नहीं चलता है कि कौनसी राजनीतीक पार्टी साफ छवी वाली हैं, फिर इन तथाकथित राजनीतीक पार्टीयों में उपर के लोग भी तो ग्राहक को देखते हैं कि कौन जिम्मेदारी उठाने के योग्य है भी नहीं कि बाद में पता चले लुटिया ही डूब गयी |
राजनीती गंदी नहीं है पर लोग इसे गंदा बनाते हैं, अच्छे लोग चाहे तो क्या कुछ नहीं हो सकता हैं हमें तो कभी याद नहीं आता कि किसी मोहल्ले का पार्षद चुनाव के बाद भी अपने मुहल्ले में जनसंपर्क करके लोगो से उनकी तकलीफे पूछता हो | अलबत्ता उसने चुनावी समय में हर किसी को हाथ जोड जोड करके अपने पक्ष में वोट करने की अपीलें की हो | ये नेता लोग अपने एरिये से जीतने के बाद ए॓से गायब होते हैं जैसे गधो के सिर से सींग |
पर अब हम किसे वोट देवेः
अब किसी ना किसी को तो वोट देना ही होगा, इसलिये सिर्फ और सिर्फ इमानदार, हर किसी की मदद करने वाले और खास तौर से साफ छवी वाले व्यक्ति को ही हमें वोट देना चाहिये |
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काकंरोली टिप्स
July 25th, 2013 · राजसमन्द जिला, हास्य
क्या आप कांकरोली शहर में आये हैं, या यहीं रहते हैं तो हम देते हैं आपको हमारे शहर के बारे में कुछ टिप्स | इस शहर में रहते हुए हमें सालों हो गये हैं पर शहर विकास की बाट जोह रहा हैं, हमारे शहर का हर हिसाब से चौतरफा विकास हो यह यहां का हर एक शख्स चाहता है | इसी बीच कुछ चुटीले व्यंग्य भी आप इन टिप्स में पायेंगे | पर ये सारी टिप्स हमें मिली यहां के लोकल एरिया और शहरी जनमानस पर सालों सालों तक अन्वेषण के बाद | शहर में पहले हुआ करती थी वे बहुत सी बाते हम दिल से मिस करते हैं, यहां के लोगों की सोच, शहर की व्यवस्था, यहां क्या करें आदि के बारे में कुछ विशेष टिप्स अग्र लिखित हैं |
तो कांकरोली पर कुछ टिप्स इस प्रकार से हैः

Tip 1

Tip 2

Tip 3

Tip 4

Tip 5

Tip 6

Tip 7

Tip 8

Tip 9

Tip 10

Tip 11

Tip 12

Tip 13

Tip 14
यह सिर्फ हमारे शहर कांकरोली की एक झलक मात्र हैं आप भी ए॓सी ही किसी बात को जानते है या फिर रोजाना ए॓सा ही कुछ देखते हैं तो हमे जरुर लिखिये, हो सकता हे हम आपकी भी टिप इसमें जोड दे |
डिस्क्लेमरः कोई बुरा ना मानें, दिल पर ना ले, ये पोस्ट सिर्फ लोगो को हमारे शहर का एक चित्रण या ट्रेलर मात्र दिखाने के लिये एक कोशिश हैं |
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एक पहेली नसीरुद्दीन शाह की कुछ फिल्मों को लेकर
July 13th, 2013 · उलझन
एक पहेली नसीरुद्दीन शाह की कुछ फिल्मों को लेकर
जैसे कीः

khli hath
फिल्म इजाजत में रेखा गाती हें खाली हाथ शाम आई हे

badi dheere
फिल्म इश्किया में विध्या बालन गाती हैं बडी धीरे जली

khali pyala
फिल्म स्पर्श में शबाना आजमी भी एक गाना गाती हैं खाली प्याला धूंधला दर्पण
मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पडा हैः
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बदला लेना क्या इंसानी प्रवृर्ति है
July 6th, 2013 · उलझन
बदला लेना क्या इंसानी प्रवृर्ति हैं
हां शायद बदला लेना इंसानी प्रवृर्ति ही तो हैं, मान लो कोई व्यक्ति आपका अहित करता हैं, आपको नीचा दिखाता हैं और आप उसे फुलों के हार पहनाओ , मुझे तो ये ठीक नहीं लगता, शायद इसलिये ही कहा गया है कि बदला लेना इंसानी प्रवृर्ति हैं, जो सब कुछ माफ कर दे वो भगवान ही हो सकता हैं और आज के दौर में भगवान बना नहीं जा सकता, अपन तो इंसान ही भले |
कहते हें कि जो लोग प्रभू यीशू के विरोधी थै और उन्हें क्रोस पर लटकाने को ले जा रहे थे उस समय भी यीशू एकदम शांत मना थे, और उन्होनें कहा था की हे इश्वर ये लोग नहीं जानते कि ये क्या करने जा रहे हैं इन्हें माफ करना | कितने सही थे वे | और ये भी कहा जाता हैं कि किसी को माफ कर दो इससे बडी कोई सजा भी नहीं हो सकती हैं | जो सोचता है कि मुझसे गलती हुई है और चाहता है कि मुझे सजा मिले पर उसे माफ करो, बडा दिल रखते हुए की चल जा बे तू मेरे लिये कुछ मायने ही नहीं रखता |
पर आज के जमाने में ये संभव नहीं है, जब छोटे थे तब स्कूल के जमाने में एक दोस्त की कापी के पहले पन्ने पर से एक छंद मेंने पढ़ा, में उसे पढ़ कर बहुत हसां था | वो दोहा या छ्दं मुझे अभी भी याद आता हेः
जो तोको कांटा बोए, वाके बोओ भाला |
वो साला क्या याद करेगा, पडा किसी से पाला ||
वाह, वाह क्या खूब लिखा था ना | दिल कि भडास निकलनी ही चाहिये नहीं तो कहीं ये कोई रोग ना पैदा कर दे | लोग कुछ गलत सलत सोचें तो हमें क्या ?
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