बात करते हैं पिपलान्त्री गांव की जो राजसमंद के ही मोरवड के नजदीक एक छोटा सा गांव हैं | ये मार्बल माइंनिंग एरिया के पास ही का गांव हे और प्रकृति की दृष्टि से देखें, तो अब ये बहुत ही समृद्ध हो चुका हैं | यहां पिपलान्त्री गांव में अनंत हरियाली लाने और बहुत सा विकास करने में यहां के कुछ युवा लोंगों के समूह का विशेष स्थान है इनमें से यही पंचायत समिति के पुर्व सरपंच श्री श्याम सुंदर पालीवाल जी का नाम में लेना चाहता हूं | श्री श्याम सुंदर पालीवाल जी पिपलान्त्री गांव में बी.जे.पी. के कद्दावर नेता हैं, पहले सरपंच भी रह चुके हैं और कार्यकाल में उन्होनें गांव के विकास को अपनी निगाह में प्रथम रखा |

पिपलान्त्री
श्याम सुंदर जी पालीवाल ने कैसे ये सब कियाः
राज्य द्धारा बहुत सारी योजनाएं राजस्थान के हर एक गांव के विकास हेतु चलाई जाती है पर जानकारी ,कम इच्छाशक्ति, Intrest लेकर कार्य ना करने के कारण ये योजनाएं आधे रास्ते में ही दम तोड देती हैं पर कहते हैं जहां चाह है वहां राह हैं |
श्याम सुंदर जी पालीवाल ने अपने प्रयासों से इसे निर्मल ग्राम पंचायत बनवाया जहां साफ सफाई पर खास जोर रहता हैं | यहां अगर आप जायेंगे तो देखेंगे की ये गांव साफ सडके, हर घर में शौचालय, धु्ंए रहित चुल्हें, स्कूल, साफ पानी की टंकिया, रोजगार हेतु नरेगा आदि कार्यक्रम, सुरम्य प्राकृतिक वातावरण और महिलाओं को रोजगार हेतु प्रोत्साहन आदि के मामले में अन्य गांवो से बिलकुल अलग हैं |
2006 में श्याम सुंदर जी ने अपनी दिवंगत बेटी किरण के नाम से गावं में हरियाली लाने के प्रयास शुरु कर दिये | श्याम सुंदर जी और यहां के युवाओं नें यहां कन्या जन्म को धूमधाम से मनाने और प्रकृति का संवर्धन एक साथ करने के लिये एक ए॓सा प्रोग्राम बनाया है कि बस, हर घर में कन्या जन्म पर वे घर के प्रधान व्यक्ति से 10000 रुपये एवं गांव के निवासीयों के सहयोग से 21000 रुपये एकत्र करते हैं ये इनको फिक्स डिपोजिट करवाते हैं और कन्या के माता पिता द्धारा 111 पेड पोधे लगवाये जातें हैं साथ ही उन्हे इनको सेवा देखभाल करने का भी वृत दिलाया जाता हैं, उन्हे ये भी समझाया जाता है कि वे बेटी को अच्छी शिक्षा और परवरिश देगें , और बालविवाह नहीं करेंगे | ये 31000 रुपये की फिक्स डिपोजिट और पेड पोधों से जो आय होगी उसे कन्या की पढ़ाई, जब कन्या 20 साल की होगी तब उसके विवाह में खर्च किये जायेंगें | तो इस तरह से यहां पिपलान्त्री गांव में कन्या जन्म को बडी धूमधाम से मनाया जाता हैं, लडकियां बोझ नहीं ये समझने की बात हैं |
गांव के आसपास लगभग 900 बीघा जमीन पर मात्र कुछ ही सालों में हरियाली की बहार ले आये ये सज्जन | एलोवेरा, नीम,आवंला, शीशम, आम और ना जाने कैसी कैसी आयुर्वेदिक औषधियां और फल दार पेड यहां अब लहलहा रहे हैं | माइनिंग के अपने कुछ माइनस पाईंट भी हैं पर हरियाली बढ़ने के साथ ही यहां के भूमिगत जल स्तर में भी सुधार हुआ हैं | एलोवेरा जैल, स्कीन प्राडक्ट्स भी यहां के स्वयं सहायता समूहों के द्धारा बनाये जाते हैं जो उपयोगी हें, साथ ही 90 मिनट की एक फिल्म भी रिलीज होने वाली है “पिपलान्त्री” नाम से जिसमे यहां के बारे में सब चित्रित हैं |
भारत के कोने कोने से लोग यहां देखने आते हैं कि किसी गांव का ए॓स॓ कायाकल्प भी किया जा सकता हैं, अभी अभी डेनमार्क, स्वीडन से भी एक टीम ये सब देखने समझने आयी थी कि कैसे कम संसाधनों के प्रयोग करते हुए भी हम प्रकृति की मदद से हम मनचाहे परिणाम पा सकते हैं | बहुत बडे नेतागण यहां आ चुके हैं और ना जाने कितने एवार्ड इस पिपलान्त्री गांव और श्याम जी को मिल चुके है कि देखने वाले देखते ही रह जाते हैं | पूरे देश के लोगों को यह गांव एक सीख देता हुआ प्रतीत होता हैं कि बेटीयां अभिशाप नहीं हैं
Khuman Singh Parmar // Mar 20, 2017 at 5:08 am
Dil se aabahar shayam sundar ji paliwal sahab ka
Mangi lal paliwal // Jun 23, 2017 at 8:35 am
Aap paliwal samaj ke amuliy ratan ho apane gaw ke vikas ke liye Jo kam kiya usake liye koti koti daniywad.
yashdeep vitthalani // Jul 15, 2017 at 4:50 am
bahut accha hai ji