राजसमन्द के कांकरोली में दो व्यक्ती पकडे गए जो अपने आप को पुलिसकर्मी बता रहे थे, वे दोनो व्यक्ती अपने आप को पुलिसकर्मी बता रहे थे। आम के ज्युस की दुकान वाले ने बताया की उन्होने एक एक गिलास आमरस पहले टेस्ट किया व फिर चार गिलास पेक और करवाया, फिर बगेर रपये पेसे दिये जाने लगे तो दुकानदार ने पुछा क्या बात है, तो उन्होने धोंस जमाते हुए आमरस वाले दुकानदार को डराया व कहा कि इसका रंग ज्यादा पीला क्यों हैं हम इसकी जांच करवाएंगे, वगेरह वगेरह। बाद में आमरस वाले के हो हल्ला करने से असली पुलिस आ गई व दोनो व्यक्ती जो कुछ देर पहले तक अपने आप को पुलिसकर्मी बता रहे थे वे पकडे गए ।
यह एक अजीब सी बात है, जो हर किसी आम नागरिक के अन्तस को झकझोर कर रख सकती है । कुछ ही दिनों पुर्व यहां एसा हो चुका है हुआ युं था, की एक स्थान पर लडके लडकी को दो व्यक्ती अपने आप को पुलिसकर्मी बता कर डरा रहे थे, वे उनसे पेसे एंठना चाहते थे पर बाद में यह मामला पब्लिक के सामने आया ।
आखिर एसा क्यों होता है ? क्या वाकई में पुलिस का व्यवहार जनता के प्रति ए॓सा ही हे कि हर कोई मनचला पुलिस के नाम की धोंस जमाते हुए किसी भी राह चलते को डरा सकता है व हर किसी दुकान से मुफ्त में कुछ भी ले जा सकता है। ए॓से केसे कोई पुलिस के नाम का दुरुपयोग कर सकता है ? क्या वर्दी का खौफ जनता में एसा ही हे कि हर कोई उलझना नहीं चाहता है व ले दे के किसी भी तरह की समस्या से निजात पाना चाहता है ।
SHUAIB // Apr 5, 2007 at 1:20 am
कामधाम नहीं और नौकरी भी नहीं – चलो ख़ुद को पुलिस वाला बताकर कुछ तो पैसे एंठलिए – ग़ज़ब का आईडिया है, पुरा दिन मुफ़्त मे खाओ। मगर पब्लिक आसली पुलिस से नहीं डरती तो नक़ली पुलिस से कैसे डरे :)