शंकर जयकिशन जोडी अपने आप में कमाल की संगीतकार जोडी थी, और ये लोग कभी ना मिटने वाला काम कर गये हैं, अतिशय नहीं हे कि इनका नाम अमर रहेगा | इस जोडी के शंकर का कंपोस्ड किया हुआ ये एक बेहतरीन गीत है ………..रात के हमसफर …. थक के घर को चले|
इस अमर गीत कर पीछे एक कहानी भी हे शंकर को अपनी मां से बडा प्रेम था, और हो भी क्यूं ना, कलाकार लोग बहुत भावुक होते हैं और उन्होने बचपन में अपनी मां से सुनी लोरीयों की मिठास को अपने खुद में पाया था | मां की मृत्यु और फनरल के कुछ बाद, बडे ही उदासी व दुख भरे माहौल में उन्होनें फिर से काम शुरु किया |
गीतकार शेलेन्द्र और शंकर जी ने कमाल की कलाकारी दिखाई हें इस गाने में, उस पर से रफी साहब और आशा जी की आवाज | आज लगभग पचास साल बाद भी इस गाने में वही शहद सी मिठास है | एक एक शब्द व गाने की धुन अनमोल है | ‘गिटार’ का जोरदार प्रभावी प्रयोग इस गीत में हमें सुनने को मिलता है | शम्मी कपूर की स्टाईल, पेरिस की रात के नजारे, आशा जी व रफी सा. की आवाज, शंकर जी की कंपोजिशन, सबकुछ जब एक साथ मिले को अनमोल रचना बनी | आप भी सुनिये……
फिल्म का नामः एन इवनिंग इन पेरिस
संगीतकारः शंकर जयकिशन
गीतकारः शेलेन्द्र
गायकः मो. रफी जी, आशा भोंसले
अभिनेता अभिनेत्रीः शम्मी कपूर एवं शर्मिला टेगोर जी
रात के हमसफर …. थक के घर को चले
रात के हमसफ़र, थक के घर को चले
झूमती आ रही, हैं सुबह प्यार की
देख कर सामने रूप की रौशनी
फिर लूटी जा रही, हैं सुबह प्यार की
सोने वालों को हँस कर जगाना भी हैं
रात के जागतों को सुलाना भी हैं
देती हैं जागने की सदा साथ ही
लोरीयाँ गा रही है, सुबह प्यार की
रात ने प्यार के जाम, भर कर दिए
आँखों आँखों से जो मैंने तुमने पिए
होश तो अब तलक जा के लौटे नहीं
और क्या ला रही है, सुबह प्यार की
क्या क्या वादे हुए, किस ने खाई कसम
इस नयी राह पर, हम ने रखे कदम
छूप सका प्यार कब, हम छूपाये तो क्या
सब समझ पा रही है, सुबह प्यार की
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