बहुत दिनों के बाद, पसीने व तेज गरमी से निजात दिलाने वाला मानसून फिर से आ गया है । पहली बारिश की फुहारें, इसकी बुंदे, जब सुखी मिट्टी में पडती हैं तो मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबु बडी अच्छी लगती है । पहली बारिश में नहाने का भी अपना अलग ही मजा है । तुनक मिजाजी या ज्यादा गुस्सेल लोग भी जब मौसम की पहली बारिश देखते हैं तो बरबस ही खुशी से मुस्कुरा उठते है । लोग कहते हैं कि इस बार गरमी भी बहुत तेज पडी थी तो बारीश भी रिकार्ड तोड होनी चाहिये । भगवान करे एसा ही हो । हमारे भारत में अभी भी खेती बाडी एक बहुत बडे वर्ग का रोजगार का मुख्य साधन है । बहुत से किसानो की आस सिर्फ बारिश पर ही टिकी रहती है कि, अच्छी बारीश हो तो फसल भी अच्छी हो, ओर अगर फसल अच्छी हो तो इस बार थोडा कर्जा उतार दूं । पर शायद भोले भाले किसान यह भूल जाते हैं कि अपने राजस्थान में हर साल अकाल व हर पांच साल में महा अकाल तो अब जेसे नियती ही बन चुका है । फिर भी उम्मीद पर तो दुनिया कायम है । देखो अब इस बरस क्या होता है ।
अहा, बारिश की फुहारे आई
July 4th, 2007 · अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई · उलझन, नई खबरें, राजसमन्द जिला
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