राजसमन्द में युं तो कई सारे शिव मन्दिर है पर उनमें से कुछ प्रमुख है मन्दिर है – रामेश्वर महादेव का मन्दिर, गुफा श्री गुप्तेश्वर महादेव मन्दिर, चौमुखा महादेव, कुन्तेश्वर (फरारा) महादेव का मन्दिर, काबरी महादेव का मन्दिर, कुभंलगढ़ पर स्थित महादेव जी का मन्दिर, परसराम महादेव मन्दिर आदि । कहने का अभिप्राय यह है कि अगर राजसमन्द के शिव मन्दिरों के बारे में अगर लिखना चालू किया जाए तो कोई सीमा ही नहीं है। हर स्थल अपनी अलग खुबी व कलात्मकता के लिये जाना जाता है ।
महा शिवरात्री के पर्व पर यहां शिवभक्तों के द्वारा उनके प्रसाद भंग का बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। यहां के ब्रजवासी लोग तो वैसे भी भांग व ठण्डाई में अक्सर चक (टुन्न) ही रहते हें। हमारे यहां तो एक लोकल भांग की दुकान पर बहुत शानदार लाईनें लिखी गई है जो इस प्रकार से हैं । कृपया गौर से पढ़ें ।
“छान छान छान, मत किसी की मान ।
जब निकल जाएंगे प्राण, तो कौन कहेगा छान ।।”
और इस तरह से एक दुसरे को छानने व छनाने का कार्यक्रम चलता ही रहता है यहां। तो जनाब एसा है हमारा अनौखा कांकरोली व नाथद्दारा शहर। महा शिवरात्री के त्योहार पर तो विशेष रुप से सभी शिव मन्दिरों के बाहर प्रसाद, फुल माला आदि की दुकाने लग जाती है। कुल मिला कर एक मेले का सा माहौल होता है। बहुत से स्त्री पुरुष अलग अलग मन्दिरों में जाते है व शिवजी के दर्शन पुजा आदि करते हैं, प्रसाद चढ़ाया जाता है। विभीन्न मन्दिरों मे भव्य लाइटींग व सजावट की जाती है व भगवान शिव को विशेष रुप से श्रंगारित भी किया जाता है। आरती पुजा, भोग आदी के दर्शन शुरु होते है । समाजसेवी लोग व्यवस्था आदि बनाए रखने में मदद करते हैं, ताकी हर व्यक्ती कतार में जा कर आराम से दर्शन आदि कर सके। हर जगह जाने कहां से ईतने गुब्बारे वाले, खिलोने वाले, कुल्फी वाले एवं चाट पकोडी वाले आ जाते है जो बच्चों व बडों को लुभाते रहते है। बच्चे मचल उठते है व अन्त में हार कर बडों को उनकी इच्छाओं की पुर्ती करनी ही पडती है।
श्रीश शर्मा 'ई-पंडित' // Feb 16, 2007 at 5:56 am
शिवरात्रि की शुभकामना। खूब भंग छक कर गाइए: जय-जय शिव शंकर…
यदि हो सके तो शिव मन्दिरों की कुछ तस्वीरें दिखाइए ब्लॉग पर।
सागर चन्द नाहर // Feb 16, 2007 at 10:41 am
रामेश्वर महादेव का मन्दिर तो हमने भी देखा है, और आपने क्या कहा ? भांघ वाली ठण्डाई!!!!!!!!!!
क्यों तरसाते- ललचाते हो हमें? पाप लगेगा :)