आज हम सुबह सुबह घर से निकले ही थे कि हमारा पुराना मित्र राधे मिल गया रास्ते में, बोला गुरु कहां हो यार में तो तुम्हे ही ढ़ूंढ़ रहा था | एक नई दुख की खबर हैं उस पर तुम कुछ लिखो मियां, मैने पूछा क्या है रे राधे, तू फेर ले के आ गया […]
आज हम सुबह सुबह घर से निकले ही थे कि हमारा पुराना मित्र राधे मिल गया रास्ते में, बोला गुरु कहां हो यार में तो तुम्हे ही ढ़ूंढ़ रहा था | एक नई दुख की खबर हैं उस पर तुम कुछ लिखो मियां, मैने पूछा क्या है रे राधे, तू फेर ले के आ गया […]
Tags: आम आदमी के एडजस्टमेंट·कर·झुम्मन की चाय·टेक्स·बिजली वाले·राधे का दुःख·लेखक बाबू
में राजसमन्द से ही एक साधारण व्यवसायी युवक हूं, 1997 में मुझे कम्प्यूटर और नई तकनीकी आदि के बारे में जानने का मौका मिला तभी से हमेशा कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करता हूं | इसी क्रम में राजसमन्द के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वेबसाईट, वह भी हमारी सरल सुलभ हिन्दी भाषा में बनाने का मेनें स्वयं निश्चय किया !
अब अपने कार्य के साथ ही कुछ सालों (2006) से खाली समय में इस राजसमन्द की हिन्दी वेबसाईट को और ज्यादा निखारने की कोशिश करता हूं । जिला बनने के बावजुद भी पिछले कई सालों से हमारा जिला राजसमन्द विकास के लिये जो बाट जोह रहा है, वह मेरे खयाल से अत्यंत विचारणीय प्रश्न है ! इसी कोशिश में यह वेबसाईट राजसमन्द कांकरोली की आम जनता को समर्पित है, आप अपनी समस्याओं से हमें अवगत करायें और इस साईट को बेहतर बनाने हेतु सुझाव दें | या सीधे मुझे Whatsapp करें
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